उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के प्रयोग से नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं भारतीय किसान



“कृषि क्षेत्र भारत की आत्मा है”, अगर ऐसा कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। सांस्कृतिक विविधताओं की ही तरह भारत में भौगोलिक विविधता का भी व्यापक प्रसार है। जहां एक तरफ दक्षिण भारत उन्नत किस्म के मसालों के लिए प्रसिद्ध है तो उत्तर भारत पौष्टिक्ता से भरपूर अनाज के लिए जाना जाता है। संपूर्ण भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की फसलों का उत्पादन किया जाता है। वहीं कृषि में प्रौद्योगिकी के प्रयोग से भारत तेजी से वैश्विक कृषि-प्रौद्योगिकी में अग्रणी देशों के रूप में उभर कर सामने आ रहा है।

किसान हितैषी नीतियां और प्रौद्योगिकी से आगे बढ़ रहा भारत

हाल के वर्षों में सरकार की प्रेरक कृषि नीतियों ने एग्रीटेक उद्योग को नई ऊंचाइयों पर लाकर खड़ा किया है। जिसमें वाहन, रोबोटिक्स, कंप्यूटर, उपग्रह, ड्रोन, मोबाइल उपकरण, सॉफ्टवेयर आदि विभिन्न विषय और उपकरण शामिल हैं। यह उभरता क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें राष्ट्रीय नियोजित कार्यबल का 43 फीसदी शामिल है। इसके अलावा 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले छोटे भूमि धारक, जो सभी किसानों के लगभग 86 फीसदी हैं उन्हें जीवित रहने के लिए 
प्रौद्योगिकी की जरूरत पड़ती है, जिसका ध्यान भी केंद्र और राज्य सरकार की कृषि हितैषी योजनाएं रख रही हैं।

ये बात काफी सुखद अनुभूति देते हैं कि कृषि-प्रौद्योगिकी नवाचार में भारत को वास्तव में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने के लिए सरकार कई कार्य कर रही है जिनमें, अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र पूंजी विकास कोष ने संयुक्त रूप से एक श्वेतपत्र लॉन्च किया है। यह श्वेतपत्र कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप्स के सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्पणियों और सिफारिशों के साथ कार्रवाई की पहल करता है।

कृषि के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों से निपटने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए भी इन सुझावों पर गौर किया जाता है। हाल के दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ते औद्योगीकरण के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को भी मजबूत करने का कार्य 
किया है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने किसानों के हित के लिए खाद्य सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला अक्षमताओं और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को दूर करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसीलिए जब सीमित संसाधनों के भीतर उत्पादकता में सुधार की बात आती है तो कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग को गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है।

तकनीकी रूप से समृद्ध हुआ है भारत का कृषि क्षेत्र

आज जो कृषि का स्वरूप है वो वाकई में एक अलग तस्वीर प्रस्तुत करता है। कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों में प्रगति के कारण आधुनिक कृषि पहले की तुलना में बहुत अलग तरीके से की जा रही है। आज की कृषि को परिष्कृत तकनीकों जैसे रोबोट, तापमान और नमी सेंसर, हवाई चित्र, जीपीएस तकनीक, ड्रोन आदि की जरूरत मुहैया करवाई जा रही है। ये उन्नत उपकरण और सटीक प्रणालियां किसानों और व्यवसायों को अधिक लाभदायक, कुशल, अनुमानित और अधिक 
पर्यावरण के अनुकूल करती है। प्रौद्योगिकी न केवल उच्च फसल उत्पादकता को सुनिश्चित करने का कार्य कर रही है, बल्कि पानी, उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग को भी कम कर रही है। जिससे खाद्य कीमतें भी नियंत्रित होती हैं। यह 
नदियों और भूजल में रसायनों के कम अपवाह को भी सुनिश्चित करने का कार्य कर रही है। साथ ही श्रमिकों को भी सुरक्षा का आवरण देती है।

हाल के वर्षों में, भारत ने कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योगों को बढ़ावा देते हुए प्रगति का रास्ता तय किया है। इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देते हैं। खाद्य फसलों, तिलहनों, दालों, वाणिज्यिक फसलों, बागवानी फसलों, संभावित फसलों और चारा फसलों की कुल 2122 किस्में सरकार के सहयोग से जारी की गई हैं, जिन्होंने न केवल उत्पादन को स्थिर बनाया है, बल्कि देश में खाद्यान्न की उत्पादकता में भी वृद्धि की गति को पकड़ा है। पिछले लगभग चार वर्षों में KVK और ICAR संस्थानों द्वारा लगभग 63 लाख किसानों को प्रशिक्षण देने का कार्य किया गया है। इसी तरह, फरवरी 2019 में शुरू होने के बाद से पीएम-किसान के तहत 5.13 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है।

किसान आज कृषि में इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए विभिन्न गतिविधियों के साथ कृषि प्रौद्योगिकी में हाथ आजमा रहा है, इनके उपयोग से सटीक खेती, कृषि ड्रोन और होपिंग सिस्टम पशुधन निगरानी, जलवायु परिस्थितियों की निगरानी, स्मार्ट ग्रीनहाउस, एआई और आईओटी आधारित कंप्यूटर इमेजिंग शामिल हैं। नवाचार और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पांच नॉलेज पार्टनर्स और 24 एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स को भी किसानों की पहुंच तक लाया गया है। जिसका लाभ लेते हुए किसान भारत की अर्थव्यस्था को नया आयाम दे रहे हैं।

दुनिया को अनाज मुहैया करवाने में भारत अग्रणी

वर्तमान में भारतीय खाद्य अर्थव्यवस्था अनुमानित 800 बिलियन डॉलर के करीब है और जिस तरह से कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रसार भारतीय कृषि क्षेत्र में हो रहा है उससे उम्मीद की जा रही है, कि खाद्य अर्थव्यवस्था केवल कुछ वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को भी पार करने में सक्षम होगी। खाद्य अर्थव्यवस्था का महत्व इस तथ्य में भी निहित है कि यह ‘भारत’ को ‘इंडिया’ से जोड़ने का कार्य कर रही है, यानी कि भारत की पहचान ग्लोबल है। इसकी वजह है कि 6 लाख से अधिक गांवों के लगभग 15 करोड़ किसान 1.4 बिलियन से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध करवाते हैं और लगभग 50 बिलियन के फसलों का निर्यात भी भारतीय किसान करते हैं। तो नि:संदेह यह धारणा तैयार हो जाती है कि कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग भारतीय कृषि को उन्नत दिशा की ओर अग्रसर कर रहा है।

नोट- Seepositive अपने पाठकों को बेहतर और सटिक जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए लगातार कार्य कर रहा है। यह लेख भारत सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारियों, कृषि पर नवाचार के लिए विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *