GI Tag: मिथिला मखाना को मिला जीआई टैग, किसानों को होगा लाभ!



GI tag: भारत सरकार ने मिथिला के मखाना (Mithila Makhana) को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (Geographical Indication Tag) प्रदान किया है। इससे मखाना (Makhana) उत्पादकों को काफी फायदा मिलेगा। उन्हें उनके उत्पाद के बेहतर दाम मिलेंगे। मिथिला के मखाने (Mithila Makhana) दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन शामिल होते हैं। भारत के 90% मखाना का उत्पादन मिथिला से ही होता है। इसके पहले भी बिहार की मधुबनी पेंटिंग, कतरनी चावल, मगही पान, सिलाव खाजा, मुजफ्फरपुर की शाही लीची और भागलपुर के जर्दालू आम को जीआई टैग (GI Tag) मिल चुका है।

GI Tag से किसानों को होगा फायदा

Mithila Makhana को GI Tag मिलने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने कहा, ‘जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना।“ मखाना एक ऐसी फसल है, जिसे पानी में उगाया जाता है। मखाना करीब 9.7 ग्राम प्रोटीन और 14.5 ग्राम फाइबर से युक्त होता है। यह कैल्शियम का भी बहुत अच्छा स्रोत है। जीआई टैग से पहले किसी भी सामान की गुणवत्ता, उसकी क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच होती है। यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और ओरिजिनल पैदावार उसी राज्य की हो।

GI Tag कैसे मिलता है?

भारत में वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की तरफ से जीआई टैग (GI Tag) दिया जाता है। भारत में यह टैग किसी खास फसल, प्राकृतिक और मैन्युफैक्चर्ड प्रॉडक्ट्स को प्रदान किया जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि एक से अधिक राज्यों में बराबर रूप से पाई जाने वाली फसल या किसी प्राकृतिक वस्तु को उन सभी राज्यों का मिला-जुला GI टैग दे दिया जाता है। उदाहरण के लिए बासमती चावल जिस पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों के राइट्स हैं। भारत में वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स’ लागू किया था। इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दिया जाता है।

GI Tag 10 सालों तक होता है मान्य

जीआई टैग (GI Tag) के लिए सबसे पहले चेन्नई स्थित जीआई डेटाबेस में आवेदन करना होता है। इसके अधिकार व्यक्तियों, उत्पादकों और संस्थाओं को दिए जाते हैं। एक बार रजिस्ट्री हो जाने के बाद 10 सालों तक यह यह टैग मान्य होता है। जिसके बाद इन्हें फिर रिन्यू करवाना होता है। देश में पहला जीआई टैग (GI Tag) साल 2004 में दार्जिलिंग चाय को दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर WIPO की तरफ से जीआई टैग (GI Tag) जारी होता है। इन टैग वाली वस्तुओं पर कोई और देश अपना दावा नहीं कर सकता है। जिस भी वस्तु को जीआई टैग (GI Tag) मिल जाता है, उसे कोई भी दूसरा व्यक्ति उसी नाम के तहत उसी से मिलती-जुलती वस्तु नहीं बेंच सकता है।

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Dr. Kirti Sisodia

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