इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के क्रू मेंबर्स जल्द ही बदलने वाले हैं। इस साल अक्टूबर में जाने वाली क्रू-5 के साथ उनकी कमांडर के तौर पर अंतरिक्ष यात्री सामंथा क्रिस्टोफोरेटी होंगी। सामंथा ऐसा करने इस पद को संभालने वाली पहली यूरोपीय महिला होंगी। फिलहाल एक्सपेडिशन-67 क्रू के सदस्य रूसी एस्ट्रोनॉट ओलेग आर्टेमयेव ISS के कमांडर का पद संभाल रहे हैं।
उनके नाम की घोषणा के बाद 45 साल की सामंथा ने कहा कि, “मैं कमांडर के पद पर अपनी नियुक्ति से अभीभूत और विनम्र हूं। अंतरिक्ष में और पृथ्वी पर कक्षा में एक बहुत ही सक्षम टीम का नेतृत्व करना और मेरे पास जो अनुभव है, उसके बारे में जानने के लिए मैं काफी उत्साह महसूस कर रही हूं।”
फिलहाल अमेरिकी सेगमेंट की लीडर
सामंथा इस साल अप्रैल में ISS पहुंचने के बाद से ही वहां अमेरिकी सेगमेंट की लीडर हैं। इसमें यूरोपीय, कनाडाई, जापानी और अमेरिकी प्रोजेक्ट्स हैं। कमान संभालने के बाद इटली की सामंथा ISS की 5वीं यूरोपीय कमांडर होंगी। इससे पहले यूरोपीय देशों के फ्रैंक डी विन्न, अलेक्जेंडर गर्स्ट, लुका परमिटानो और थॉमस पेसक्वेट स्पेस स्टेशन के कमांडर की जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं सामंथा
सामंथा टिकटॉक, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर काफी प्रसिद्ध हैं। वे अंतरिक्ष में रहकर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के कुछ मजेदार पलों को अक्सर शेयर करती रहती हैं। ट्विटर पर उनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, तो वहीं फेसबुक और टिकटॉक पर 6-6 लाख फॉलोअर्स और टिकटॉक पर अब तक उनके वीडीयोज को करोड़ों बार देखा गया है।
ISS कमांडर की नियुक्ति का प्रोसेस
यह फैसला अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा, रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस, जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए और कनाडाई स्पेस एजेंसी मिलकर लेते हैं। ISS का कमांडर क्रू मेंबर्स के काम और सेहत के लिए भी जिम्मेदार लेता है। वह पृथ्वी पर मौजूद टीमों के साथ लगातार कम्युनिकेट करने से लेकर इमरजेंसी की स्थिति में भी फैसले ये लेता है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशनर
ISS एक फुटबॉल फील्ड जितनी बड़ी जगह होती है। जो 420 किमी की ऊंचाई पर धरती के चक्कर काटती है। इसका वजन 450 टन है। यह नवंबर 1998 में लॉन्च हुआ था। इस प्रोजेक्ट में अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, इटली, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क और बेल्जियम जैसे देश शामिल हैं। ब्राजील 2007 में इस प्रोग्राम से अलग हुआ था। और अब रूस भी 2024 के बाद इसे छोड़ने की तैयारी कर रहा है।
ISS में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सभी तरह की सुविधाएं हैं। यहां 6-8 लोग 6 महीने तक रहते हैं। इस पर पृथ्वी से उड़ान भरने वाले बड़े-बड़े अंतरिक्ष यान उतारने का काम किया जाता है। अब तक 19 देशों के 200 से ज्यादा अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS का दौरा कर लिया है।
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