भारत में सुधर रही है बैंकों की वित्तीय स्थिति, खत्म हो रही है NPA की समस्या



भारतीय बैंको की स्थिति में सुधार हो रही है, दरअसल बैंकों में वसूल नहीं हो रहे लोन (NPA) की परेशानी अब खत्म होती दिखाई दे रही है।

क्रिसिल की एक रिपोर्ट की मानें तो, मार्च 2023 तक बैंकों का सकल एनपीए (NPA) 0.90% घटकर 5% रह जाने की संभावना नजर आ रही है। यही नहीं, मार्च 2024 तक स्थिति और भी सुधर जाएगी, जिससे बैंकों का सकल NPA सिर्फ 4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो पिछले एक दशक में सबसे कम होगा।

हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेज ग्रोथ हुई है। जिसकी वजह से NPA हो चुके लोन की वापसी हो रही है। इसके अलावा लोन के उठाव में भी ग्रोथ दिखाई दे रही है। और बट्टे खाते में डाले गए (राइट-ऑफ) कुछ लोन की रिकवरी भी हो रही है। इसके चलते बीते कुछ साल से सकल NPA लगातार कम हुआ है। आने वाले सालों में यह ट्रेंड जारी रह सकता है, ऐसा एक्सपर्ट्स का मानना है। NPA घटना बैंकों की स्थिति सुधरने का सबसे मजबूत संकेत माना गया है।

NPA कम होने की प्रमुख वजह

अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ठीक होने लगी, उद्योग-धंधे चले, इससे बैंकों के लोन वापस होने लगे।

पांच साल में 10 लाख करोड़ के लोन बट्टे को बैंकों ने खाते में डाले, NPA नीचे हुआ।

कॉरपोरेट एनपीए 16% से घटकर 2% पर आ रहा है।

क्रिसिल के अनुसार 2023-24 तक कॉरपोरेट लोन में NPA का लेवल 2 फीसदी से नीचे आ सकता है। 31 मार्च 2018 तक कॉरपोरेट लोन में NPA लेवल 16% पर था।

बट्‌टे खाते में डाले गए लोन भी बैंकों को मिल रहे हैं वापस

एलकेपी सिक्युरिटीज के अनुसार बट्टे खाते में डाले गए लोन भी वापस मिलने लगे हैं। बीते तिमाही बैंक ऑफ बड़ौदा के बट्‌टे खाते में डाले गए 25-30% लोन रिकवर हुए हैं। बैंकों की स्थिति में ये सुधार बताते हैं कि भारतीय इकोनॉमी जल्द ही विकास की गति को पकड़ सकती है।

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Dr. Kirti Sisodia

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