

Rivers: नदियां जीवन का आधार हैं। पृथ्वी की उत्पत्ति के समय से जिसका अस्तित्व है वो नदियां (Rivers) ही हैं और नदियों (Rivers) के किनारे ही उपजी हैं कई तरह की सभ्यताएं। नदियां ही थी जिसने 5000 साल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता को सींचा। नदियों के किनारे बसे होने की वजह से सिंधु सभ्यता के लोग आर्थिक रुप से काफी समृद्ध थे। व्यवस्थित खेती करने वाले ये लोग नदियों (Rivers) के सहारे बांध बनाकर सिंचाई करते थे। पानी के जहाजों से उत्पादों का विदेशी ट्रेड करते थे। वर्तमान में भारत की गंगा, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी जैसी नदियों (Rivers) के बारे में तो सभी जानते हैं पर क्या आपको पता है प्राचीन भारत की 7 नदियां कौन सी हैं और अभी ये किस नाम से जानी जाती हैं। आपको ये जानकर हैरानी भी होगी कि इनमें से एक तो पूरी तरह से विलुप्त भी हो चुकी है। इन प्राचीन नदियों में शामिल हैं…
सिंधु नदीं (Indus river) – वर्तमान में भारत के उत्तरी छोर पर बहने वाली सिंधु नदी सबसे प्राचीन नदी है। सिंधु नदी का प्राचीन नाम हिरण्य नदी है। आर्थिक रूप से काफी महत्वपूर्ण इस नदी के किनारे ही सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हुआ। भारत, पाकिस्तान से होते हुए यह नदी अरब सागर में गिरती है।
सरस्वती नदी (Sarasvati river) – सरस्वती सिन्धु के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नदी थी। ऋग्वेद में सरस्वती नदी को नदियों की माता, वाणी, प्रार्थना एवं कविता की देवी, बुद्धि को तीव्र करने वाली और संगीत प्रेरणादायी कहा गया है। सरस्वती ऋग्वेद की सबसे पवित्र नदी मानी गई है। कहते हैं सरस्वती राजस्थान की रेगिस्तान में विलीन हो गईं है। इसकी जगह अब घग्घर नदी बहती है।
झेलम (Jhelum river) – कश्मीर में बहने वाली झेलन का प्राचीन नाम वितस्ता है। वहीं अन्य नदियों में चेनाब को अस्किनी, रावी को परुष्णी, सतलज को शतुद्री और व्यास नदी को विपासा कहा गया है। ये प्राचीन नदियां अभी भी अस्तित्व में हैं बस इनका नाम बदला है पर अविरल बहती इनकी धारा आज भी जीवन देती है।