पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) में हर जीव की अपनी एक इंपार्टेंट भूमिका है। चाहे वे तितली हो या छोटे कीड़े या फिर कीट पतंगे (Insects)। कीट या कीड़ों का नाम सुनते ही लोगों के मन में उनका अजीब सी सोच उभर जाती है कि ऐसे बनावट वाले कीड़े भला कैसे हमारी लाइवलीहुड को प्रभावित कर सकते हैं। एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर दिया है कि हमें कीड़ों से इंसान और प्रकृति (Nature) के प्रति योगदान पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि कीटों की प्रजातियों के संरक्षण के साथ सरकारों को भी इस मामले में जागरूक होना बेहद जरूरी है।
क्या कहती है रिसर्च?
लेन्कास्टर यूनिवर्सिटी के नए शोध से यह पता चला है कि कीटों के प्रति लोगों के मन में पारिस्थितिकी तंत्र को लेकर या तो कोई रूचि नहीं है या किसी को पता ही नहीं है कि कीट हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा कैसे दे सकते हैं। दुनियाभर में व्यापक और गहराई से जुड़े नकारात्मक सांस्कृतिक पूर्वाग्रह की वजह ही है कि लोग जैवविविधता (Biodiveristy) के प्रति अपनी नीति में निष्क्रिय दिखाई देते हैं।
इंसानों को होना होगा जिम्मेदार
कीट खाद्य श्रृंखला के महत्वपूर्ण और प्राथमिक हिस्सा होते हैं। इनके बिना जैव-विविधता में बैलेंस की कल्पना नहीं की जा सकती है। लैन्केस्टर में इनवर्टिब्रेट बायोलॉजी एंड कंजरवेशन पॉलिसी के जानकारों और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक फिलिप डोंकरस्ले का कहना है कि कीड़ों सहित जैवविविधता में गिरावट हम लोगों की ही गतिविधियों का एक नतीजा है। उन्होंने इस बात की संभावना जताई कि ऐसा तब तक चलता रहेगा जब तक हमें ऐसे बिंदु पर ना पहुंच जाएं जहां पारिस्थितिकी तंत्र हमारी अपनी प्रजाति के लिए निर्णायक हो जाएं।
कीड़ों पर आत्मनिर्भरता
इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कई दूसरी तरह के फायदों के बारे में बात की है। जिनमें उनके पार्क या बागीचों में खूबसूरत तितलियों (Butterflies) को देखने पर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव, कॉस्मेटिक्स और दवा उद्योगों में विभिन्न किस्म के लाभ जैसी चीजें शामिल हैं। साथ ही वैज्ञानिको ने कीड़ों (Insects) के संरक्षण में मदद करे के लिए कार्य योजना कई रणनीति प्राथमिकताओं को भी रेखांकित किया है।