अनोखी है राजस्थान के एक डॉक्टर की कहानी, 8 साल की उम्र में हुआ था बाल-विवाह, आज समाज के लिए हैं प्रेरणा!

“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” ये लाइन प्रसिद्ध कवि सोहनलाल द्विवेदी जी की कविता के अंश हैं। लेकिन अगर आप राजस्थान की एक युवा डॉक्टर रूपा यादव की कहानी जानेंगे तो कविता के ये अंश आपको जीवंत लगेंगे। दरअसल बीकानेर की रहने वाली रूपा यादव पेशे से एक डॉक्टर हैं। उन्होंने जहां समाज के रूढ़ियों को तोड़कर अपने सपने को पूरा किया है वहीं वे कई लोगों के लिए मिसाल भी हैं….
 

8 वर्ष की उम्र में हुआ बाल-विवाह

राजस्थान के करीरी गांव में रूपा का जन्म हुआ था। वे शुरूआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थीं। ये बात रूपा के पिता जानते थे, लेकिन बड़े भाई के दबाव और सामाजिक नियम कानून के चलते उन्हें रूपा की शादी करनी पड़ी। शादी के बाद गौना होने तक रूपा अपने पिता के घर ही रही। रूपा के पिता उन्हें खेतों में ले जाकर पढ़ने को कहते थे ताकि कोई रूपा की पढ़ाई में अड़चन न पैदा करे। रूपा के पिता की मेहनत रंग लाई और रूपा ने 10वीं 86 प्रतिशत अंकों से पास की। अब बारी रूपा के गौने की थी, रूपा के पिता ने इस बात की शर्त ससुराल वालों के सामने रखी कि, वे तभी अपनी बेटी का गौना करेंगे जब रूपा की पढ़ाई जारी रखी जाएगी। इस बात पर रूपा के पति और ससुराल वालों ने हामी भर दी। 12वीं के बाद रूपा ने NEET कोचिंग के एंट्रेंस की परीक्षा दी। रूपा ने इस परीक्षा में इतने अच्छे अंक लाए कि उनसे कोई फीस नहीं ली गई। 3 सालों की मेहनत के बाद आखिरकर रूपा को ‘सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज‘ में MBBS की सीट मिल ही गई। एक अखबार में छपे उनके साक्षात्कार के मुताबिक, रूपा के परिवार में सभी लोगों ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला और साथ दोनों दिया।
 

मां और मेडिकल छात्रा के रूप में रूपा का सफर

पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए रूपा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। इसी बीच उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। रूपा कहती हैं कि जब उनके प्री के फाइनल पेपर्स थे तब उनकी बेटी सिर्फ 25 दिन की थी। उन्होंने कम समय में परिवार की मदद से अपना सिलेबस पूरा किया और अपनी परीक्षा अच्छे अंकों से पास की।
 

परिवार को सहना पड़ा सामाजिक तिरस्कार

रूपा के पिता और उनके ससुराल वालों ने उनकी मेहनत और सपने को समझा, लेकिन कई बार उनके परिवार को सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके रूपा रुकी नहीं और उन्होंने अपनी मंजिल हासिल की। आज रूपा एक सफल डॉक्टर हैं और वे महिलाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही हैं।
 
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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