CHATGPT को लेकर कई मत सामने आ रहे हैं। जहां लोग इसके नकारात्मक पक्ष के बारे में बात कर रहे हैं तो कई कह रहे हैं कि CHATGPT के आने के बाद काम करने के तरीके और रचनात्मक होंगे। ऐसे में ये तो निश्चित है कि भविष्य में हमारे काम करने का तरीका पूरी तरह से बदलने वाला है। इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि आने वाले समय में शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण भी अलग होगा।
डेल (Dell) की एक रिपोर्ट कहती है कि साल 2030 में लगभग 85% नौकरियां होंगी जिनका अभी तक नामो निशान तक नहीं है। ये फैक्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि रिपोर्ट कहती है कि नौकरियां खत्म नहीं होने वाली हैं, बस उनका तरीका बदल सकता है। वहीं 2030 तक अधिकांश नौकरियां नई तरह की होंगी।
टेक्नोलॉजी से तरीके बदलेंगे, अवसर नहीं होंगे खत्म
अगर इस बात को थोड़ा बारीकी से देखा जाए तो हमेशा एक सवाल लोगों के मन में आया है कि नई तकनीके नौकरियां खत्म करती है। फिर वह चाहे कैलकुलेटर या कंप्यूटर का सृजन क्यों न हुआ हो। प्रारंभ में सभी के लिए विरोध का स्वर उपजा है। लेकिन एडवांस तकनीक के बावजूद लोगों ने अपनी नौकरियां नहीं खोई। वहीं कई नए पदों का सृजन हुआ, अवसर नए मिले।
CHATGPT से खास होगा होगा शिक्षण का तरीका
शिक्षा के क्षेत्र में, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग में अंतहीन संभावनाएं दिखाई देती हैं और यह निश्चित रूप से छात्रों की क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा। वर्चुअल रिएलिटी, या ऑग्मेंटेड रिएलिटी के जरिए कॉन्सेप्ट्स को समझना और सीखना बेहद सरल होगा। बच्चे इससे रचनात्मक तरीके से सीखेंगे।
Capital, 5ire.org, और NITI Aayog ने हाल ही में भारत में सभी स्कूल के छात्रों के लिए एक ब्लॉकचेन मॉड्यूल बनाने के लिए काम करना शुरू किया है। मॉड्यूल हैकथॉन के साथ स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा ताकि छात्रों को सॉफ्टवेयर बनाने का हुनर सिखाया जा सके। जो जटिल सामाजिक और किफायती मुद्दों को समझने में उन्हें सक्षम बनाएगा। छात्र इन ऐप्लीकेशंस को स्केल करने के लिए भी पूरी तरह से स्वतंत्र होंगे और यहां तक कि इसके लिए फंडिंग भी उन्हें मिल
सकेगी। CHATGPT की नई तकनीक से अधिक आकर्षक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। कौशल और सीखने के अलावा, भविष्य की नौकरियों में पनपने के लिए, छात्रों को अपनी मानसिकता पर भी काम करना होगा।