मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में एक छोटा सा गांव है दलोदा। इस गांव की तारीफ पूरे देश में हो रही है। दरअसल दलोदा ग्राम पंचायत में अनूठे तरीके से कचरा प्रबंधन किया जा रहा है। यहां के ग्रामीण कचरे से जैविक खाद और वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं। यही नहीं वे कचरे की छटनी कर लोहा, प्लास्टिक अलग-अलग कर उनका व्यापार भी करते हैं। गांव के लोगों ने इस योजना को कचरे से कंचन का नाम दिया है। एक तरफ जहां गांव कचरा मुक्त हो रहा है वहीं दूसरी तरफ इससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
कचरे से बनता है जैविक खाद
इस गांव में कचरे से ना सिर्फ जैविक खाद बनाई जाती है बल्कि बल्कि कचरे की छंटनी कर बाजार में भी बेचा जाता है। ग्राम पंचायत दलौदा चौपाटी में कचरे का प्रबंधन बिल्कुल शहर जैसा ही है। यहां कचरा प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत कचरा गाड़ी के जरिए कचरा घर-घर से इकट्ठा कर उसे संग्रहण केंद्र पर खाली करती है।
यहां कचरे की छंटनी का काम शुरू होता है। लगभग 20 तरह का कचरा अलग-अलग करके उसमें से खाद बनाने योग्य कचरे से वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है। इसे किसानों को बेचा जाता है। यहां के किसान इस खाद को खुशी से खरीदते हैं। वहीं कचरे से लोहा, प्लास्टिक या कांच की बोतल की छंटनी कर बाजार में बेचा जाता है। इससे होने वाली आमदनी से गांव में विकास कार्य किया जाता है।
सरपंच की पहल से शुरू हुई सफाई की मुहीम
गांव को साफ सुथरा रखने के लिए कचरा प्रबंधन की ये खास तकनीक गांव के पूर्व सरपंच द्वारा शुरू की गई थी। उन्होंने गंदगी को दूर करने के लिए कचरा प्रबंधन का उपाय खोजा और दलोदा में कचरा प्रबंधन प्लांट लगवाने में लग गए। गांव के लोगों ने भी प्रेरित होकर टैक्स देना शुरू कर दिया। देखते ही देखते गांव में अब तक करोड़ों रुपए के विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। गांव के लोग जीवन धारा योजना के अंतर्गत ग्रामीण आरओ का साफ पानी पीते हैं। यहां एक भव्य रिसोर्ट भी बनाया जा रहा है, जिसका उपयोग गांव के लोग कम खर्चे में मांगलिक और अन्य सामाजिक कार्य कर सकेंगे।
कचरा प्रबंधन तकनीक को देश-विदेश से मिली है तारीफ
कचरा प्रबंधन से ना सिर्फ गांव साफ हुआ है बल्कि लोगों की आमदनी भी बढ़ी है और लोगों को रोजगार भी मुहैया करवाया गया है। कलेक्टर ने भी ग्राम पंचायत दलोदा में कचरा प्रबंधन की तारीफ की है। इस गांव को कचरा प्रबंधन की वजह से कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
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