Little Scientist: एक कहावत है कुछ इनोवेटिव और खास करने के लिए कोई उम्र नहीं होती है। इस बात को सही साबित किया है 5 साल के यथार्थ ने। इंदौर के रहने वाले यथार्थ भारत के युवा वैज्ञानिकों के लिस्ट में शामिल हो गए हैं। उन्होंने छोटी सी उम्र में एक ऐसी बॉटल बनाई है जो खिलाड़ियों और यात्रियों के लिए बेहद कारगर साबित होगी।
यथार्थ के बारे में
इंदौर के बख्तावर राम नगर में रहने वाले 5 साल के यथार्थ जैन बड़े होकर साइंटिस्ट बनना चाहते हैं। यही वजह है कि वे कुछ न कुछ नया करने की धुन में रहते हैं। इंदौर के मिनी हाइट्स स्कूल में अपर केजी में पढ़ने वाले यथार्थ की माता डॉ.चारुल जैन सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, इंदौर में स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी साइंसेज की एचओडी हैं। उन्होंने अपने बेटे के इस हुनर को निखारने का काम किया। यथार्थ ने यात्रियों और खिलाड़ियों की सहूलियत के लिए स्पिल प्रूफ बॉटल डिजाइन किया है। उनके इस डिजाइन को भारत सरकार द्वारा “पेटेंट” के रूप में रजिस्टर किया गया है। यही नहीं उनके अद्वितीय सुविधाजनक बोतल डिजाइन के लिए उन्हें पेटेंट से भी सम्मानित किया गया है।
क्यों खास है यथार्थ की बनाई बॉटल?
यथार्थ ने जो बॉटल पेटेंट करवाया है वह विशेष रूप से खिलाड़ियों और यात्रियों के इस्तेमाल में आएगी। इस बॉटल को फिजिक्स के कॉन्सेप्ट पर बनाया गया है। इसे बनाने के लिए उन्होंने “नियंत्रित दबाव की अवधारणा का इस्तेमाल किया है। जिसके अनुसार याथार्थ की बोतल के ऊपर एक नल है और बोतल नरम और सुरक्षित प्लास्टिक की बनाई गई है। जब कोई बॉटल पानी भरना या कोई पेय पीना चाहे तो यह अत्यधिक सुविधाजनक होगा।
यहां से मिली प्रेरणा
यथार्थ की मां डॉ चारुल जैन के मुताबिक जब भी यथार्थ खेलने के बाद थककर पानी पीते थे तब बॉटल से पानी गिर जाता था। यथार्थ ने मां से ये बात शेयर की कोई ऐसी बॉटल क्यों नहीं बनाई गई है जिससे पानी न गिरे। यथार्थ की इसी सोच से इस बॉटल का अविष्कार हुआ। बाद में यथार्थ की सोच पर उनकी मां और यथार्थ ने काम किया और भारत सरकार को बॉटल का डिजाइन भेज दिया। भारत सरकार ने माना कि ये यूनिक डिजाइन है तब जाकर इसे पेटेंट अप्रूवल मिल गया। यथार्थ बड़े होकर एक बड़े वैज्ञानिक बनकर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।