Natural fiber के बारे में जानते हैं आप, फैशन इंडस्ट्री में बढ़ रही है मांग!

Natural fiber: केले के तने और उनके छिलके में नेचुरल फाइबर होता है। इससे ज्वेलरी से लेकर कपड़े तक बनाए जा रहे हैं। केले के रेशे से बुने कपड़ों की फैशन की दुनिया में काफी डिमांड हो रही है। इस पर राष्ट्रीय केला अनुसंधान संस्थान (एनआरसीबी) रिसर्च भी कर रहा है। 

ये है पूरी कहानी

अब तक हमने केले के कई तरह के इस्तेमाल देखे हैं। केले या केले के तने का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जा रहा है। केले में पाए जाने वाले नेचुरल फाइबर की वजह से अब केले के रेशों का इस्तेमाल फैशन इंडस्ट्री में भी किया जा रहा है। इससे अलग-अलग तरह के कपड़े तैयार किए जा रहे हैं। जो केला अब तक खाने के काम आता था, अब इसका उपयोग ब्रांडेड प्रोडक्ट बनाने में किया जा रहा है। इसका सीधा फायदा होगा किसानों को जो केले की खेती कर आर्थिक लाभ कमाएंगे। 

फैशन इंडस्ट्री में मांग

इसके लिए राष्ट्रीय केला अनुसंधान संस्थान (एनआरसीबी) ने मुंबई स्थित केंद्रीय कपास तकनीक संस्थान के साथ समझौता किया है। इस दिशा में किए जा रहे प्रयास इनोवेशन के द्वार खोलेंगे। इसके साथ ही रेशे गलाने की प्रक्रिया में सुधार कर उम्दा क्वालिटी के रेशों का उत्पादन भी केंद्र द्वारा किया जाएगा इसके लिए एनआरसीबी और केंद्रीय कपास तकनीक संस्थान साथ-साथ मिलकर काम कर रहा है। केले के रेशों में गैर-हानिकारक केमिकल्स को मिलाकर लंबे और मजबूत रेशे तैयार किया जाएगा। 

केले के रेशे से बन रहे कपड़े

इसके नेचुलर फाइबर क्वालिटी की वजह से रेशम के लिए पहचान रखने वाली भागलपुर में भी अब केले के थंब से निकले रेशे से कपड़े भी तैयार किए जा रहे हैं। इस तरह से बनाए गए कपड़े नाइजीरिया और केन्या तक पहुंच रहे हैं। बंगाल, यूपी, दिल्ली और हैदराबाद से भी ऐसे कपड़ों की कापी डिमांड है। हबीबपुर मोमिनटोला, हुसैनाबाद नयाटोला, शाहजंगी, बदरपुर, पुरैनी जैसी जगहों पर 50 से अधिक बुनकर हथकरघा पर केले के रेशे के धागे से कपड़े बना रहे हैं। यही नहीं इस रोजगार में 500 से ज्यादा महिलाएं भी जुड़ चुकी हैं, जो रेशे काटकर धागा बना रही हैं। 

केले के रेशे की क्वालिटी

  • भीतरी परत रेशम की तरह काफी मुलायम होते हैं। 
  • बाहरी परत बर्लेप या कपास की तरह होती है। 
  • रेशमी आंतरिक रेशा बहुत ही सॉफ्ट होता है। 

आजकल के जो कपड़े बन रहे हैं वो पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक माने जाते हैं। ऐसे में अगर केले के रेशा पर्यावरण अनुकूल कपड़े बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा तो पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा जो भविष्य के लिए भी अच्छा है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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