4 Pillars of human development: सफलता के लिए जरूरी हैं ये 4 क्वालिटी, देखें क्या कहते हैं रिसर्च!

4 Pillars of human development: वैसे तो डेवलपमेंट के कई स्टेप्स होते हैं। एजुकेशन डेवलपमेंट, देश का डेवलपमेंट, रिलेशन्स डेवलपमेंट, लेकिन क्या आप जानते हैं ये सभी आते हैं ह्यूमन डेवलपमेंट के अंदर। हर व्यक्ति ये सोचता है कि उसे सफलता मिले, खुशी मिले, बेहतर लाइफस्टाइल हो तो हम बताते हैं कि ये सब आपको कैसे मिल सकते हैं। दरअसल कुछ रिसर्च में ये बात सामने आयी है कि एक व्यक्ति के बेहतर जीवन के लिए कुछ विकास कुछ पिल्लर्स सेट किए गए हैं जसे मानवीय विकास के स्तंभ (Pillars of human development) कहे गए हैं। ये 4 हिस्सों में बंटे हैं समता (Equity), सतत पोषणीयता (Sustainability), उत्पादकता (Productivity) और सशक्तिकरण (Empowerment). जानते हैं कैसे ये मानवीय विकास से जुड़े हैं।

समता (Equity)

भारतीय संविधान में भी हर वर्ग के लिए विशेषाधिकार की व्यवस्था की गई है। किसी भी वयक्ति के साथ भेदभाव को गलत माना गया है। मानवीय विकास तभी संभव है जब सोसाइटी में सभी को एक जैसे अधिकार मिलेंगे। सभी को समान अवसर देने से मतलब है है। नागरिकता, राजनीतिक व आर्थिक समानता सभी को हो तभी व्यक्ति का विकास पूरी तरह से हो पाएगा।

सतत पोषणीयता (Sustainability)

यह एक ऐसा विकास है जिसमें भविष्य की तैयारी है, ये आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखता है। सस्टेनेबलिटी का मतलब प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह समझदारी से उपयोग करना है कि वह दीर्घकालीन अवधि तक टिकाऊ बने रहें, और वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ आने वाले भविष्य की पीढ़ियों को भी सभी संसाधनों का लाभ मिले। इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि वर्तमान पीढ़ी अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ भावी पीढ़ी की जरूरतों पर भी विचार करे और सतत विकास के उद्देश्यों को पूरा करे। हमारी आर्थिक, पर्यावरणीय, सामाजिक आवश्यकताओं और सार्वभौमिक स्वास्थ्य को संतुलित करते हुए वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि संभव हो सके।

उत्पादकता (Productivity)

प्रोडक्टिविटी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है। जीवन प्रोडक्टिव होना चाहिए ऐसा तो अक्सर सुना होगा। इसका मतलब ये होता है कि किसी भी काम से समाज, लोग, परिवार में नकारात्मक प्रभाव नहीं छोड़ना चाहिए। इसके अलावा आर्थिक और सामाजिक लाभ भी इससे जुड़े हैं। इकोनॉमिकली इसे देखें तो इसमें कंपनी के लाभों और शेयरधारकों के रिटर्न का उत्पादकता ग्रोथ से सीधा संबंध दर्शाया जाता है। कारपोरेट लेवल पर, उत्पादकता किसी कंपनी की उत्पादन प्रक्रिया की क्षमता से देखा जाता है।

सशक्तिकरण (Empowerment)

ये एक ऐसा प्रोसेस है जिसके अंतर्गत शक्तिहीन लोगों को अपने जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित करने के बेहतर मौके मिलते हैं। इसका मतलब सिर्फ संसाधनों पर बेहतर नियंत्रण नहीं है बल्कि इसका आत्मविश्वास में वृद्धि और हर वर्ग में बराबरी के आधार पर निर्णय करने की क्षमता से जुड़ा है।

इन चार क्षेत्रों में काम करके व्यक्ति अपना पूरा विकास कर सकता है। इसमें व्यक्तिगत हित तो जुड़े हैं साथ ही सामाजिक और पर्यावरण का हित भी जुड़ा हुआ है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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