कृषि हम सभी का भविष्य है, ये बात तो सभी लोग जानते हैं। पर इसे सहेजना कैसे हैं इस बात का ज्ञान कम ही लोगों को पता होगा। दरअसल आज जब माता-पिता अपने बच्चों के लिए स्कूल का चुनाव करते हैं तो वो ये जरूर देखते हैं कि स्कूल बेहतर तकनीकी ज्ञान रखता हो, अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं का ज्ञान बच्चे को दे और तमाम तरह की सुविधाएं। यही वजह है कि आजकल हर स्कूल इन सुविधाओं पर ध्यान देता है। लेकिन तमिलनाडू के करूर में एक स्कूल ऐसा नहीं है। वो भविष्य के लिए बच्चों को तैयार कर रहा है कृषि सिखाकर…
एक प्रतिष्ठित अखबार के मुताबिक तमिलनाडु के करूर शहर में रहने वाले अरविंथन आरवी एक अनोखा स्कूल चला रहे हैं। वो एक ऐसा स्कूल चला रहे हैं जहां पर बच्चों को कृषि सिखाई जाती है। ऐसा नहीं है कि असविंथन पढ़े लिखे नहीं हैं असल में उन्होंने जर्मनी से मास्टर्स किया है। जर्मनी में ही उन्हें एक अच्छी जॉब भी मिल गई थी। लेकिन उन्हें वापस लौटना था ताकि अपने देश के लिए कुछ बेहतर कर सकें। उनके पिता एक वकील थे और अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने के अलावा वह एक स्कूल भी चलाते थे। बस अरविंथन ने इसे ही अपनी राह के रूप में चुन लिया।
बच्चों को सिखा रहे खेती
अरविंथन ने स्कूल में ही खेती करने का फैसला लिया। इसका उद्देश्य था कि बच्चों को वो खेती से जोड़ सकें। अरविंथन ने बच्चों को स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराने के लिए स्कूल में ही फल-सब्जी उगाने का फैसला लिया। 2016 में उन्होंने टैरेस गार्डन शुरू किया गया था लेकिन इससे बच्चों की जरूरत पूरी नहीं होती। बाद में उन्होंने खेल के मैदान और परिसर की दीवार के बीच लगभग 30 फीट जगह में खेती करना शुरू किया।
आज अरविंथन का ये स्कूल बच्चों को उनके जन्मदिन पर ग्रो बैग में पौधे उपहार स्वरूप देता है। यहां के बच्चे खेती और पर्यावरण से भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं। स्कूल में 400 छात्र और 50 कर्मचारी मिलकर खेती करते हैं।
स्कूल उगा रहा सालाना 2,000 किलो सब्जी
अरविंथन अपने ही स्कूल के बगल की कुछ जमीन पट्टे पर लेकर धान की भी खेती करते हैं। वे बच्चों को जैविक खेती के बारे में सिखाना चाहते हैं। उनके अनुसार पढ़ाई और खेल के अलावा बच्चों को खेती के बारे में भी सीखना चाहिए। 2018 में अरविंथन ने कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए कृषि विज्ञान भी बनाया है। इसके अलावा अरविंथन की पहल से पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों बीज भी जुटाए गए हैं इन्हें संरक्षित करने के लिए एक छोटा बीज बैंक तैयार किया गया है। अरविंथन की पहल वाकई काबिले तारीफ है।