Maithili Thakur election win: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने एक अनोखा और ऐतिहासिक पल देखा। जब लोकगीतों की मधुर आवाज बन चुकी मैथिली ठाकुर ने अपनी पहली ही चुनावी पारी में बाजी मार ली। “From Music to Mandate” की उनके सफर की यह जीत सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक बदलाव की कहानी भी है। दरभंगा जिले की अलीनगर सीट से बीजेपी (NDA समर्थित) उम्मीदवार के रूप में उतरीं 25 वर्षीय मैथिली ने आरजेडी प्रत्याशी विनोद मिश्रा को 11,700 से अधिक वोटों से हराकर दमदार जीत दर्ज की।
जनता का विकल्प बनीं मैथिली
मतगणना के हर राउंड में उनकी बढ़त बढ़ती चली गई। कुल 12 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुकाबला आखिर तक BJP और RJD के बीच सिमटा रहा। युवा वोटर्स, पहली बार वोट डालने वाले, और महिलाओं का जबरदस्त समर्थन मैथिली की सबसे बड़ी ताकत साबित हुआ। संगीत के मंच पर लोकप्रियता ने उन्हें राजनीति के धरातल तक मजबूती दी। यह रियल-टाइम “influence to impact” की कहानी है।
कौन हैं मैथिली ठाकुर?
बिहार के मधुबनी की बेटी मैथिली ठाकुर संगीत की दुनिया का चमकता हुआ नाम हैं। बचपन से ही पिता रमेश ठाकुर, जो स्वयं संगीत शिक्षक हैं, ने उन्हें शास्त्रीय संगीत, लोकगीत और भजनों की शिक्षा दी। उनके भाई-बहनों में मैथिली, ऋषभ और अयाची हैं। सोशल मीडिया पर मशहूर है ‘ठाकुर बंधु’ तिकड़ी। YouTube और Facebook पर उनके करोड़ों फॉलोअर्स हैं। मैथिली को भोजपुरी, लोकगीत, भजन और classical singing में महारत हासिल है। उनकी मधुर आवाज ने न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में लोकसंगीत को नई पहचान दी है।
क्यों जीतीं मैथिली ठाकुर?
मैथिली की सबसे बड़ी पूंजी रही उनकी साफ, सरल और grounded छवि। उनके गानों में बिहार की संस्कृति और लोकबोली की महक हमेशा महसूस होती है, जो उन्हें गांव-गांव तक लोकप्रिय बनाती है। इसके अलावा,
- सोशल मीडिया पर विशाल fanbase
- युवाओं और first-time voters का अपार समर्थन
- परिवार की सरल और सांस्कृतिक छवि
- एनडीए का मजबूत बूथ मैनेजमेंट
- विरोधियों का वोट बिखराव
- Clean politics और positive energy का भरोसा
इन सभी factors ने मिलकर मैथिली को अलीनगर की सबसे मजबूत उम्मीदवार बना दिया।
25 की उम्र में MLA
मैथिली ठाकुर अब बिहार विधानसभा में सबसे युवा विधायकों में शामिल हैं। उनसे उम्मीद है कि वे संस्कृति, शिक्षा, कला और युवा सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों को नई सोच के साथ आगे बढ़ाएंगी। उनकी जीत साबित करती है कि आज की राजनीति में voice matters चाहे वह सुर की हो या जनता की।

