JPSC Topper 2025: झारखंड के गिरिडीह जिले के छोटे से गांव कपिलो के रहने वाले सूरज यादव की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं लगती। आर्थिक तंगी और मुश्किल हालातों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आखिरकार JPSC परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना पूरा किया। आज सूरज की मेहनत और संघर्ष की यह दास्तान हजारों युवाओं के लिए एक नई उम्मीद की किरण है।
बड़ा अफसर बनने का सपना
सूरज के पिता राज मिस्त्री (मजदूर) हैं। घर की हालत इतनी खराब थी कि कभी-कभी खाने तक के लाले पड़ जाते थे। लेकिन सूरज बचपन से ही बड़े सपने देखते थे। सरकारी अफसर बनने का। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने रांची का रुख किया और पढ़ाई के साथ-साथ मेहनत शुरू की।
बने डिलीवरी बॉय
पढ़ाई का खर्च उठाना आसान नहीं था। सूरज ने Swiggy डिलीवरी बॉय और Rapido राइडर के तौर पर काम करना शुरू किया। लेकिन शुरुआत में उनके पास खुद की बाइक तक नहीं थी। इस मुश्किल वक्त में उनके दोस्तों राजेश नायक और संदीप मंडल ने स्कॉलरशिप का पैसा देकर मदद की। सूरज ने सेकेंड हैंड बाइक खरीदी और रोजाना 5 घंटे डिलीवरी करके अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला।
परिवार बना हौसले की ताकत
सपनों की राह में सूरज को परिवार का भी साथ मिला। उनकी बहन ने घर की जिम्मेदारी संभाली, जबकि पत्नी ने हर मुश्किल घड़ी में उनका हौसला बढ़ाया। सूरज का दिन काम में गुजरता और रात पढ़ाई में। थकान भले आती रही, लेकिन जज्बा कभी टूटा नहीं।
JPSC इंटरव्यू में सबको चौंकाया
JPSC परीक्षा के इंटरव्यू में जब सूरज ने बताया कि वे डिलीवरी बॉय के तौर पर काम करते हैं, तो बोर्ड के सदस्य चौंक गए। उन्हें लगा कि यह सहानुभूति पाने की कोशिश है। लेकिन जब डिलीवरी से जुड़े तकनीकी सवाल पूछे गए तो सूरज ने इतने सटीक और बेहतरीन जवाब दिए कि सबका शक यकीन में बदल गया।
युवाओं के लिए मिसाल
आज सूरज यादव सिर्फ गिरिडीह या झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सपने पूरे करने के लिए पैसों से ज्यादा जरूरी है मेहनत, धैर्य और लगन।