JEE Mains: छत्तीसगढ़ के प्रयास आवासीय विद्यालयों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। जेईई मेंस 2025 के परिणामों में राज्य के दूरस्थ और नक्सल प्रभावित इलाकों से आए 122 बच्चों ने सफलता हासिल कर सभी को गर्व महसूस कराया है। इस वर्ष कुल 371 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी, जिनमें से 122 ने क्वालीफाई किया – यह किसी प्रेरणा से कम नहीं।
मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना
प्रयास विद्यालय मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन स्कूलों का मकसद है – ऐसे इलाकों के टैलेंटेड स्टूडेंट्स को बढ़िया एजुकेशन देकर उन्हें JEE, NEET जैसे टफ कॉम्पिटिशन के लिए तैयार करना। और इस साल का रिजल्ट दिखाता है कि योजना सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
रायपुर का प्रदर्शन सबसे बेहतर
प्रयास बालक आवासीय विद्यालय, रायपुर ने इस बार का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है। यहां से JEE एडवांस की तैयारी करने वाले 153 में से 69 बच्चों ने जेईई मेंस क्वालीफाई किया है। यह करीब 45% का सक्सेस रेट है, जो कि नेशनल लेवल की इस परीक्षा के लिए एक्सीलेंट कहा जा सकता है।
स्कूलों का भी रहा शानदार प्रदर्शन
- प्रयास, अंबिकापुर – 44 में से 16 छात्रों ने क्वालीफाई किया
- प्रयास, दुर्ग – 46 में से 12 सफल
- प्रयास, कांकेर – 23 में से 08 सफल
- प्रयास, जशपुर – 38 में से 09 सफल
- प्रयास, कोरबा – 30 में से 01 सफल
- प्रयास, जगदलपुर – 37 में से 07 सफल
ये आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से राज्य के अलग-अलग कोनों से निकलकर ये बच्चे अपनी डेस्टिनी खुद लिख रहे हैं।
IIT और MBBS की राह पर बढ़ते कदम
अब तक प्रयास विद्यालयों से –
- 122 स्टूडेंट्स IIT एवं समकक्ष संस्थानों में
- 356 स्टूडेंट्स NIT में
- 960 अन्य समकक्ष संस्थानों में
- 70 MBBS के लिए सेलेक्ट हो चुके हैं।
ये नंबर न सिर्फ प्रयास की सक्सेस स्टोरी हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य की भी उम्मीद हैं।
बढ़ेगा प्रयास परिवार
वर्तमान में राज्य में 15 प्रयास विद्यालय संचालित हो रहे हैं। अब राजनांदगांव और बलरामपुर में दो नए विद्यालय खोलने की मंजूरी मिल चुकी है। इससे 2025-26 तक प्रयास स्कूलों की संख्या 17 हो जाएगी।
विद्यार्थियों की इस उपलब्धि पर शिक्षा मंत्री श्री रामविचार नेताम, प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा और आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर ने बच्चों को शुभकामनाएं दीं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
गांव से ग्लोबल तक
इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि अगर सही प्लेटफॉर्म मिले, तो गांव का बच्चा भी आईआईटी और एम्स की कुर्सी तक पहुंच सकता है। नक्सल प्रभावित इलाकों के इन होनहारों ने सिर्फ परीक्षा ही नहीं पास की, बल्कि हजारों बच्चों को इंस्पायर भी किया।