How to become a judge: क्या है भारत में जज बनने की पढ़ाई और प्रक्रिया?

How to become a judge: भारत में जज बनने का सपना देखने वाले युवाओं को न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए कई चरणों से गुजरना होता है। यह एक प्रतिष्ठित और जिम्मेदार पद है। इसके लिए कठोर परिश्रम, धैर्य और कानूनी ज्ञान की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कि जज बनने के लिए कौन-कौन सी पढ़ाई और प्रक्रियाएँ होती हैं।

स्नातक स्तर (Bachelor’s Degree)

जज बनने के लिए (How to become a judge) सबसे पहले किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से विधि (Law) में स्नातक की डिग्री (LLB) प्राप्त करना आवश्यक है। LLB की अवधि सामान्यतः तीन से पांच वर्षों की होती है, जो विद्यार्थियों की शैक्षिक पृष्ठभूमि पर निर्भर करती है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) का रजिस्ट्रेशन

LLB की डिग्री प्राप्त करने के बाद, विद्यार्थियों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकरण कराना होता है। इसके लिए उन्हें बार काउंसिल परीक्षा (AIBE) पास करनी होती है।

अनुभव और प्रैक्टिस

बार काउंसिल में पंजीकृत होने के बाद, वकील के रूप में प्रैक्टिस करना आवश्यक होता है। अधिकांश न्यायिक सेवा परीक्षाओं में उम्मीदवारों से न्यूनतम 2-3 वर्षों का एडवोकेट का अनुभव मांगा जाता है।

न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Service Examination)

जज बनने के लिए उम्मीदवारों को राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय स्तरीय न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Service Examination) पास करनी होती है। इस परीक्षा को पास करने के बाद ही उम्मीदवार जज बनने के योग्य होते हैं। यह परीक्षा दो मुख्य चरणों में होती है…

प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination)

यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार (Objective Type) की होती है, जिसमें विधिक ज्ञान, सामान्य अध्ययन, सामान्य अंग्रेजी, और सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains Examination)

मुख्य परीक्षा विषयात्मक प्रकार (Subjective Type) की होती है, जिसमें उम्मीदवारों को विधिक विषयों पर विस्तृत उत्तर लिखने होते हैं। इसमें कानून, संविधान, और अन्य विधिक विषयों पर गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है।

साक्षात्कार (Interview)

मुख्य परीक्षा पास करने के बाद, उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। साक्षात्कार में उम्मीदवारों की व्यक्तित्व, संप्रेषण कौशल, और विधिक ज्ञान की जांच की जाती है।

प्रशिक्षण (Training)

साक्षात्कार पास करने के बाद, उम्मीदवारों को न्यायिक अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण अवधि लगभग छह महीने से एक वर्ष की होती है, जिसमें उम्मीदवारों को न्यायिक कार्यप्रणाली, कोर्ट की प्रक्रियाएं, और कानून के व्यावहारिक पहलुओं की शिक्षा दी जाती है।

नियुक्ति (Appointment)

प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद, उम्मीदवारों को न्यायिक सेवा (How to become a judge) में जज के पद पर नियुक्त किया जाता है। प्रारंभ में उन्हें निम्न स्तर के न्यायालयों में जैसे सिविल जज या मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्ति मिलती है।

जज बनने की चुनौतियाँ

जज बनने की प्रक्रिया काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। इसमें उच्च स्तर की शैक्षिक योग्यता, कठिन परीक्षाएँ, और कड़ा प्रतिस्पर्धा शामिल है। इसके अलावा, इस पेशे में उच्च नैतिक मानकों और निष्पक्षता की भी आवश्यकता होती है।

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Positive सार

जज बनने (How to become a judge) का सपना साकार करने के लिए उम्मीदवारों को कड़ी मेहनत, समर्पण, और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। विधिक शिक्षा से लेकर न्यायिक सेवा परीक्षा पास करने और प्रशिक्षण प्राप्त करने तक की लंबी यात्रा होती है। इसके बावजूद, इस पेशे की प्रतिष्ठा और समाज में योगदान देने की भावना इसे अत्यंत मान्य और सम्मानित बनाती है। यदि आप न्यायिक सेवा में शामिल होना चाहते हैं, तो सही दिशा में प्रयत्न करें और धैर्यपूर्वक अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर

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Rishita Diwan

Content Writer

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