“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”
ये सिर्फ एक लाइन भर नहीं है बल्कि प्रेरणा देने वाली वो शक्ति है जो बड़ी-बड़ी मुश्किलों में भी ताकत बन जाती है। ऐसी ही प्रेरणा की कहानी है गणेश बरैया (Ganesh Baraiya) की। जिनका कद भले ही छोटा है लेकिन उनका औरा आसमानों की उड़ान जितनी बराबर है। ये कहानी है गणेश बरैया की जो काफी खास है….
क्या है गणेश की कहानी?
गुजरात के रहने वाले गणेश बरैया सिर्फ (Ganesh Baraiya) 3 फीट के हैं। उन्होंने गुजरात के भावनगर से हाल ही में MBBS की पढ़ाई पूरी की और अब वो डॉक्टर बनने के आखिरी पड़ाव पर हैं। यानी कि अभी गणेश भावनगर मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप कर रहे हैं। कई लोगों को ये लगेगा कि 3 फीट के व्यक्ति ने MBBS कर लिया इसमें क्या बड़ी बात है। तो हम आपको बताते हैं कि गणेश की उपलब्धि इतनी बड़ी क्यों है?
प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार गणेश
एक साक्षात्कार में बात करते हुए मेडिकल कॉलेज के डीन कहते हैं कि अब गणेश बरैया (Ganesh Baraiya) दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर की प्रतिस्पर्धा के लिए पूरी तरह से तैयार है। उनका अपने काम को लेकर पैशनेट होना दिखाता है कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कितनी मुश्किलों का सामना किया है।
तीन फीट का कद
भावनगर मेडिकल कॉलेज में जब आप पहुंचेंगे तो मेडिकल इंटर्न 22 साल के गणेश बरैया को जरूर देखेंगे। महज 3 फीट लंबे और 18 किलोग्राम वजन वाले काफी मुश्किल से अस्पताल के बिस्तर की ऊंचाई तक पहुंचते हैं। उन्हें अपने मरीजों की जांच करने के लिए पैर ऊपर की ओर उठाना पड़ता है। वहीं बौनेपन की वजह से गणेश के शरीर का 72 फीसदी हिस्सा लोकोमोटिव विकलांगता से प्रभावित है। लेकिन उन्हें देखकर आप इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। गणेश डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुस्कान के साथ लोगों का इलाज करते हैं। जब गणेश मरीजों के बीच जाते हैं तो लोग उन्हें कौतूहल भरी नजरों से देखते हैं।
मां का सपना हुआ पूरा
शारीरिक बनावट की वजह से गणेश का बचपन भी काफी मुश्किल भरा रहा। उन्हें कई बार मजाक का भी सामना करना पड़ा। लेकिन गणेश की मां अपने बेटे की क्षमता को पहचानती थीं। भावनगर के गोरखी गांव के रहने वाले गणेश का डॉक्टर बनने का सपना तब मजबूत हुआ जब उन्हें पता चला कि उनकी मां का भी यही सपना है।
कॉलेज पहुंचने वाले परिवार के पहले सदस्य
बेहद सामान्य परिवार से आने वाले गणेश की मां देवुबेन गृहणी और पिता विट्ठल किसान हैं। गणेश आठ भाई बहनों में से एक हैं। परिवार में गणेश की सात बहने हैं, जिनमें से कोई कॉलेज नहीं गया। गणेश बरैया कॉलेज पहुंचने वाले अपने परिवार पहले व्यक्ति हैं। साल 2018 की बात है जब उन्हें और दो अन्य दिव्यांग छात्रों को गुजरात सरकार ने MBBS में प्रवेश से वंचित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट से लड़ी लड़ाई
12वीं कक्षा में गणेश बरैया (Ganesh Baraiya) ने 87 फीसदी अंक प्राप्त किया। उन्हें राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा NEET में 233 अंक मिले थे। जिसके बावजूद उन्हें गुजरात सरकार ने MBBS जब प्रवेश नहीं दिया। बरैया ने हार नहीं मानी और इस चुनौती का सामना किया। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गणेश बरैया को न्याय मिला और उन्हें एडमिशन भी। आज गणेश एमबीबीएस हैं।
फैकल्टी के प्यारे गणेश
Inspiration की ये कहानी डॉक्टर गणेश बरैया (Ganesh Baraiya) की है। उन्होंने प्रवेश मिलने के बाद पढ़ाई में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। भावनगर मेडिकल कॉलेज के डीन कहते हैं कि गणेश सबसे आगे बैठते थे। कक्षा में काफी उत्साह और ऊर्जा से पार्टिसिपेट करते थे। उन्हें उनके साथियों ने भी पूरा सहयोग दिया।
Positive सार
डॉ गणेश बरैया (Ganesh Baraiya) अब दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर के खिताब के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले हैं। बरैया आगे डर्मेटोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं। बरैया की कहानी 2 बातों की सीख देती है। पहला कि अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो उस पर अडिग होकर मेहनत करें। आपको वो जरूर हासिल होगी। इसके अलावा ये कि अब समाज से ऊंच-नीच, काले-गोरे और किसी भी तरह की असमानता खत्म हो रही है। तो हमारे पास कई बेहतर संभावनाएं हैं। जिससे हम आगे बढ़ रहे हैं।