छत्तीसगढ़ सरकार ने “नमो ड्रोन दीदी योजना” के माध्यम से स्व-सहायता समूह की महिलाओं को ड्रोन तकनीक से प्रशिक्षित कर न केवल उन्हें सशक्त बनाया है, बल्कि किसानों को समय और खर्च बचाने में भी मदद की है। यह पहल न केवल कृषि में नई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक है।
ड्रोन दीदी योजना
नमो ड्रोन दीदी योजना का उद्देश्य महिलाओं को ड्रन संचालन में कुशल बनाना और कृषि में तकनीकी सेवाएँ प्रदान करना है। महिलाओं को गहन प्रशिक्षण देकर ड्रोन के थ्योरी और प्रैक्टिकल ज्ञान में पारंगत किया जा रहा है। चयनित महिलाओं या समूहों को ड्रोन और सहायक उपकरण प्रदान किए जाते हैं। साथ ही योजना के तहत ड्रोन संचालन में आने वाले खर्चों को कम करने के लिए वित्तीय मदद दी जाती है।
ड्रोन दीदी की सफलता की कहानी
मुंगेली जिले की सरगांव पंचायत की गोदावरी साहू “जय माता दी” स्व-सहायता समूह की सदस्य हैं। उन्होंने ग्वालियर और फूलपुर में 20 दिनों का विशेष प्रशिक्षण लिया और ड्रोन संचालन में कुशल हो गईं। गोदावरी वह अब किसानों के खेतों में नैनो यूरिया, डीएपी और कीटनाशक का छिड़काव करती हैं।
समय और पैसे की बचत
ड्रोन के माध्यम से एक दिन में 20-25 एकड़ खेत में छिड़काव संभव हो पाता है। वहीं श्रमिकों पर होने वाला खर्च और समय दोनों की बचत होती है। ड्रोन संचालन से वायु प्रदूषण नहीं होता, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है।
किसानों के लिए ड्रोन दीदी का महत्व
- पहले गन्ने जैसी ऊँची फसल में छिड़काव करना कठिन होता था।
- ड्रोन के माध्यम से यह काम आसानी और कम समय में हो रहा है।
किसानों का आभार
किसान इस पहल के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए यह योजना शुरू की।
Positive सार
ड्रोन दीदी योजना न केवल कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना रही है। यह पहल किसानों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। तकनीक के माध्यम से महिलाओं और किसानों को जोड़ने की यह पहल निश्चित रूप से ग्रामीण विकास के नए आयाम स्थापित करेगी।