- विश्व धरोहर बनने की ओर एक कदम
- ऐतिहासिक धरोहर की मिलेगी नई पहचान
Sirpur Tourism: छत्तीसगढ़ का सिरपुर, जो अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, अब विश्व धरोहर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सिरपुर के ऐतिहासिक महत्व और इसकी सुरक्षा व संरक्षण की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। इसके बाद एएसआई ने इस फाइल को यूनेस्को तक पहुंचा दिया है। आगामी कुछ दिनों में इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
पुरातात्विक खोज और इतिहास
सिरपुर का ऐतिहासिक महत्व प्राचीन काल से ही उल्लेखनीय रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी में प्रसिद्ध विदेशी यात्री कनिंघम और बेग्लर ने यहां लक्ष्मण मंदिर और गंधेश्वर महादेव मंदिर सहित कई पुरातात्विक धरोहरों के अस्तित्व की पुष्टि की थी। बाद में, 1953 से 1956 के बीच सागर विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों ने इस क्षेत्र में उत्खनन किया, जिसमें शैव और वैष्णव मंदिरों, बौद्ध और जैन विहारों, नदी बंदरगाह और हाट बाजार जैसी संरचनाओं का पता चला।
विश्व धरोहर बनने की प्रक्रिया
छत्तीसगढ़ सरकार ने 2014-15 में सिरपुर में विश्व धरोहर स्थल के रूप में संभावनाएं देखी थीं। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA) का गठन किया, ताकि इस स्थल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सके। अब जब इस क्षेत्र की रिपोर्ट यूनेस्को तक पहुंच गई है, तो इसे जल्द ही विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
सिरपुर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
सिरपुर न केवल ऐतिहासिक बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह स्थल प्राचीन भारत के व्यापारिक और आध्यात्मिक केंद्रों में से एक रहा है। यहां से प्राप्त बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से जुड़ी मूर्तियां और शिलालेख इस बात की पुष्टि करते हैं कि सिरपुर धार्मिक सहिष्णुता और समृद्धि का केंद्र था।
पर्यटन और विकास की संभावनाएं
यदि सिरपुर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया जाता है, तो यह छत्तीसगढ़ के पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि यह स्थान विश्वभर के इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।
Positive सार
सिरपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में सरकार और पुरातत्वविदों का यह प्रयास सराहनीय है। यदि यह स्थान विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त करता है, तो यह भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक बनेगा।