Rajiv Lochan: प्राचीन नगरी प्रयागराज स्थित संगम के बारे में तो आप जानते ही होंगे, आइए आज आपको छत्तीसगढ़ के ‘प्रयाग’ लेकर चलते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी से रायपुर 45 किलोमीटर दूर स्थित राजिम में तीन नदी के संगम पर राजीव लोचन का मंदिर स्थित है। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। माघ पूर्णिमा पर राजीव लोचन मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें पूरे देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और समृद्ध वास्तुकला के बारे में।
भगवान विष्णु का स्वरूप हैं राजीव लोचन
राजीव लोचन का मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर बहुत से मजबूत और सुंदर नक्काशीदार 12 पिलरों के आधार पर टिका हुआ है और चतुर्थाकार में बनाया गया है। मंदिर का प्रवेश द्वार सामने की तरफ ना होकर के मंदिर के उत्तर और दक्षिण में स्थित है।12 खंभों के महामंडप के गर्भगृह में राजीवलोचन की मूर्ति सिंहासन पर विराजमान है और मूर्ति के सामने मंडप के दूसरी ओर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ हाथ जोड़े स्थापित हैं। गर्भगृह की चौखट में अद्भुत नक्काशी से मिथुन और सर्पाकार मानव आकृतियां बनाई गई हैं।
गजराज के साथ भगवान विष्णु की इकलौती मूर्ति
मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई चतुर्भुजी प्रतिमा है, जिनके हाथ में शंख, चक्र, गदा और कमल पकड़े हुए हैं। पूरे भारत में यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु के साथ उनको कमल अर्पित करते हुए गजराज की मूर्ति है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि जब गजराज को ग्राह ने प्रताड़ित किया था तब गजराज ने सूंड में कमल फूल लेकर भगवान विष्णु से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना की थी, तब आराम कर रहे भगवान विष्णु ने नंगे पैर दौड़कर गजराज की रक्षा की थी। यहां स्थित मूर्ति उसी कथा का प्रतीक है।
भगवान विष्णु का स्वरूप हैं राजीव लोचन
राजीव लोचन का मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर बहुत से मजबूत और सुंदर नक्काशीदार 12 पिलरों के आधार पर टिका हुआ है और चतुर्थाकार में बनाया गया है। मंदिर का प्रवेश द्वार सामने की तरफ ना होकर के मंदिर के उत्तर और दक्षिण में स्थित है।12 खंभों के महामंडप के गर्भगृह में राजीवलोचन की मूर्ति सिंहासन पर विराजमान है और मूर्ति के सामने मंडप के दूसरी ओर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ हाथ जोड़े स्थापित हैं। गर्भगृह की चौखट में अद्भुत नक्काशी से मिथुन और सर्पाकार मानव आकृतियां बनाई गई हैं।
गजराज के साथ भगवान विष्णु की इकलौती मूर्ति
मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई चतुर्भुजी प्रतिमा है, जिनके हाथ में शंख, चक्र, गदा और कमल पकड़े हुए हैं। पूरे भारत में यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु के साथ उनको कमल अर्पित करते हुए गजराज की मूर्ति है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि जब गजराज को ग्राह ने प्रताड़ित किया था तब गजराज ने सूंड में कमल फूल लेकर भगवान विष्णु से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना की थी, तब आराम कर रहे भगवान विष्णु ने नंगे पैर दौड़कर गजराज की रक्षा की थी। यहां स्थित मूर्ति उसी कथा का प्रतीक है।
कैसे पहुंचे राजिम?
राजिम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सिर्फ 45 किमी की दूरी पर है। राजिम पहुंचने के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन के माध्यम से रायपुर जंक्शन पहुंचा जा सकता है फिर रायपुर से राजिम तक पहुंचने के लिए आपको आसानी से बस या टैक्सी मिल जाएगी। अगर आप फ्लाइट से पहुंचना चाहते हैं तब भी रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट तक फ्लाइट से आना होगा फिर टैक्सी लेकर राजिम पहुंचा जा सकता है।