Kondagaon Mandari Dance: छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय परंपराएं एक बार फिर राष्ट्रीय मंच पर चमकी हैं। जनजातीय गौरव दिवस 2025 के अवसर पर सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर में आयोजित राज्य स्तरीय शहीद वीर नारायण सिंह स्मृति लोक कला महोत्सव में कोंडागांव जिले की लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया, जिसके बाद देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें सम्मानित किया। यह सम्मान न केवल टीम के लिए, बल्कि पूरे कोंडागांव जिले के लिए गर्व का क्षण था।
कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने दी शुभकामनाएं
कोंडागांव की इस उपलब्धि पर कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना ने टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि- “लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और अनुशासन से जिले का नाम पूरे राज्य में रोशन किया है। यह उपलब्धि हमारी समृद्ध जनजातीय कला-संस्कृति और कलाकारों की प्रतिभा को साबित करती है।” उनके इस संदेश ने कलाकारों का उत्साह और भी बढ़ा दिया।
मेहनत और संघर्ष की कहानी
टीम की सदस्य आरती नेताम, निवासी हरवेल, ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा-
“मेहनत और संघर्ष के बाद हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पंचायत स्तर से शुरू हुई हमारी यात्रा आज राज्य स्तर पर राष्ट्रपति जी के हाथों सम्मान पाने तक पहुंच गई। यह हमारे लिए गर्व का पल है। जिला प्रशासन ने जो अवसर दिए उसके लिए हम दिल से आभारी हैं।”
आरती के इस बयान में टीम के संघर्ष और समर्पण की झलक साफ दिखाई देती है। लगातार अभ्यास, अनुशासन और कला के प्रति प्रेम ने उन्हें यह सफलता दिलाई है।
छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की चमक
राज्यस्तरीय महोत्सव में मांदरी नृत्य दल ने जिस नृत्य विधा का प्रदर्शन किया, उसने वहां मौजूद दर्शकों और निर्णायकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के दौरान ढोल, मांदर और पारंपरिक वेशभूषा की धुनों पर की गई प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को फिर एक बार नई पहचान दिलाई।
इससे पहले भी यह टीम जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी थी, जिसके आधार पर ही इसका चयन राज्यस्तरीय कार्यक्रम के लिए हुआ। उनकी प्रस्तुति ने साबित किया कि कोंडागांव की कला में वह परंपरागत शक्ति और आधुनिक आकर्षण है, जो किसी भी बड़े मंच पर दर्शकों का दिल जीत ले।
कोंडागांव के लिए गौरव का पल
यह जीत कोंडागांव की युवा प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जिले के कई जनजातीय कलाकार अब इस सफलता को देखकर अपने सपनों को नया आयाम देने की इच्छा रखते हैं। यह उपलब्धि बताती है कि सही अवसर, निरंतर अभ्यास और अपने कला रूप के प्रति सम्मान कलाकारों को बड़ी उपलब्धियों तक पहुँचा सकता है।

