Diwali in India: दीवाली, भारत का प्रमुख त्यौहार, हर राज्य में अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराओं के साथ मनाई जाती है। इस त्योहार की विविधता भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विरासत को दर्शाती है।
गोवा (नरकासुर दहन)
गोवा में दीवाली की शुरुआत नरकासुर दहन से होती है। नरकासुर, जो एक दानव था, उसकी पुतलों को कागज और आतिशबाज़ी से बनाया जाता है और सड़कों पर जुलूस की तरह निकाला जाता है। फिर इन्हें जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करने से पहले अपने शरीर पर तेल लगाते हैं, जिससे शुद्धिकरण होता है।
कथा के अनुसार, नरकासुर को भगवान ब्रह्मा से विशेष वरदान मिला था और उसने कई राज्य जीत लिए। अंततः देवी अदिति ने भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा से मदद मांगी। कृष्ण और सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया और उसकी हार का जश्न दीवाली पर मनाया जाता है।
तमिलनाडु (थलाय दीपावली)
तमिलनाडु में दीवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली थलाय दीपावली खास महत्व रखती है। इस दिन नवविवाहित जोड़े अपने ससुराल में दीवाली मनाते हैं। दिन की शुरुआत परिवार के मंदिर में विशेष पूजा से होती है, उसके बाद सामूहिक भोजना होता है।
लक्ष्मी माता को आमंत्रित करने के लिए घर के सामने सुबह जल्दी दीपक जलाए जाते हैं। स्नान से पहले लोग तिल का तेल, हल्दी, काली मिर्च और अजवाइन लगाते हैं, जिससे शरीर शुद्ध होता है और शुभता आती है।
तमिलनाडु में रवा लड्डू और मैसूर पेक जैसी मिठाइयों के साथ-साथ लेह्यम भी बनाया जाता है। यह औषधीय मिश्रण अदरक, धनिया, गुड़ और घी से तैयार किया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसे खाने से पाचन में मदद मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
ओडिशा (देव दीवाली)
ओडिशा में देव दीवाली दीवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं। यह तीन दिन चलता है और सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग के अनुसार अलग-अलग अनुष्ठान किए जाते हैं।
विविध परंपराओं में पिरोया हुआ भारत
भारत में दीवाली सिर्फ दीपों का त्यौहार नहीं है, बल्कि हर राज्य की अपनी अनोखी परंपराओं और रीति-रिवाजों को दर्शाता है। गोवा में नरकासुर दहन, तमिलनाडु में थलाय दीपावली और ओडिशा में देव दीवाली जैसी परंपराएं इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं।