Chhattisgarh Tourism: छत्तीसगढ़ के 11 अभयारण्यों की पूरी जानकारी!

Chhattisgarh Tourism: भारत का हृदय स्थल, छत्तीसगढ़, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ घने जंगलों और अद्भुत जैव विविधता के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 44% हिस्सा वनों से आच्छादित है। इस प्राकृतिक पूंजी के संरक्षण के लिए, छत्तीसगढ़ में तीन राष्ट्रीय उद्यान और ग्यारह वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries) स्थापित किए गए हैं।

ये अभयारण्य न केवल वन्यजीवों को सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन और स्थानीय समुदायों की आजीविका में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए, छत्तीसगढ़ के इन ग्यारह वन्यजीव अभयारण्यों की विस्तार से यात्रा करते हैं।

1. उत्तरी छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभयारण्य

ये अभयारण्य मुख्य रूप से उत्तरी और उत्तर-पूर्वी छत्तीसगढ़ में स्थित हैं, जो मैकाल पर्वत श्रृंखला के कुछ हिस्सों को भी कवर करते हैं।

तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य

Tamor Pingla Wildlife Sanctuary

  • स्थान- सूरजपुर जिला।
  • विशेषता- यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 608 वर्ग किलोमीटर है। यह हाथी (Elephants), तेंदुआ (Leopards), नीलगाय (Nilgai) और विभिन्न प्रकार के हिरणों के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में साल और मिश्रित वन बहुतायत में पाए जाते हैं।

सेमरसोत वन्यजीव अभयारण्य

Semarsot Wildlife Sanctuary

  • स्थान- बलरामपुर जिला।
  • विशेषता- यह अभयारण्य घने साल वनों से आच्छादित है और यहाँ जंगली सूअर, भालू और तेंदुओं का निवास है। सेमरसोत अपनी शांत और अनछुई प्रकृति के लिए जाना जाता है।

बादलखोल वन्यजीव अभयारण्य

Badalkhol Wildlife Sanctuary

  • स्थान- जशपुर जिला।
  • विशेषता- छोटे आकार का यह अभयारण्य अपनी हरियाली और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ मुख्य रूप से चीतल (Spotted Deer), सांभर (Sambar) और लोमड़ी जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं।

गोमरदा वन्यजीव अभयारण्य

Gomarda Wildlife Sanctuary

  • स्थान- रायगढ़ जिला।
  • विशेषता- महानदी बेसिन के पास स्थित, यह अभयारण्य अपनी मिश्रित वनस्पति और वन्यजीवों की विविध प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ भेड़िया (Wolf), सियार और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।

2. मध्य छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण अभयारण्य

ये अभयारण्य राज्य के मध्य भाग में स्थित हैं और विविध वन प्रकारों का प्रदर्शन करते हैं।

अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य

Achanakmar Wildlife Sanctuary

  • स्थान- मुंगेली जिला (Bilaspur-Mungeli)।
  • विशेषता- यह अभयारण्य 2009 से अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह बाघों, तेंदुओं, और गौर (Indian Bison) का निवास स्थान है। इसकी भौगोलिक विविधता और मैकल पर्वत शृंखला से निकटता इसे विशेष बनाती है।

बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य

Barnawapara Wildlife Sanctuary

  • स्थान- महासमुंद और बलौदाबाजार-भाटापारा जिला।
  • विशेषता- यह राजधानी रायपुर से निकटतम और सबसे प्रसिद्ध अभयारण्यों में से एक है। यह अपनी खुली घास के मैदानों और मिश्रित वनों के लिए जाना जाता है। यहाँ उड़ने वाली गिलहरी (Flying Squirrel), चार सींग वाला मृग (Four-horned Antelope) और कोबरा पाए जाते हैं। यह पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।

उदंती सीता नदी वन्यजीव अभयारण्य

Udanti Sitanadi Wildlife Sanctuary

  • स्थान- धमतरी और गरियाबंद जिला।
  • विशेषता- यह दो अलग-अलग अभयारण्यों (उदंती और सीता नदी) का संयोजन है और इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा भी प्राप्त है। यह विशेष रूप से वन भैंसा (Wild Buffalo) के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है, जो छत्तीसगढ़ का राज्य पशु भी है।

3. दक्षिणी छत्तीसगढ़ (बस्तर) के अभयारण्य

बस्तर क्षेत्र अपनी घने जंगलों और अद्वितीय आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहाँ के अभयारण्य मुख्य रूप से इस क्षेत्र की विशेष वनस्पति और जीव-जंतुओं का संरक्षण करते हैं।

भैरमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

Bhairamgarh Wildlife Sanctuary

स्थान- बीजापुर जिला।

विशेषता- इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान से सटा हुआ, यह अभयारण्य भी वन भैंसों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास प्रदान करता है। यहाँ नीलगाय, सांभर और जंगली कुत्ते भी पाए जाते हैं

पामेड वन्यजीव अभयारण्य

Pamed Wildlife Sanctuary

  • स्थान- बीजापुर जिला।
  • विशेषता- यह भी इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान और तेलंगाना की सीमा से लगा हुआ है। पामेड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों और घने वनों के कारण कम मानव हस्तक्षेप वाला क्षेत्र है, जो इसे वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनाता है।

4. अन्य महत्वपूर्ण अभयारण्य

भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य

Bhoramdeo Wildlife Sanctuary

स्थान- कवर्धा (कबीरधाम) जिला।

विशेषता: यह अभयारण्य भोरमदेव मंदिर के निकट स्थित है, जिसे ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ भी कहा जाता है। यह क्षेत्र साल और सागौन के वनों से घिरा है और भालू तथा तेंदुओं के लिए जाना जाता है।

अचानकमार का विस्तार

पेंड्रावन वन्यजीव अभयारण्य

Pendrawan Wildlife Sanctuary

  • स्थान- बिलासपुर और मुंगेली जिला (विस्तारित क्षेत्र)।
  • विशेषता- यह अपेक्षाकृत नया और छोटा अभयारण्य है, जो अचानकमार क्षेत्र के जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद करता है।

संरक्षण और पर्यटन का संतुलन

छत्तीसगढ़ के ये 11 वन्यजीव अभयारण्य न केवल भारत की जैव विविधता का भंडार हैं, बल्कि ये इको-टूरिज्म (Eco-tourism) के भी महत्वपूर्ण केंद्र हैं। छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड इन क्षेत्रों में प्रकृति-आधारित पर्यटन को बढ़ावा देता है, जिससे स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ती है।

इन अभयारण्यों का दौरा करना प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है, जहाँ उन्हें छत्तीसगढ़ की असली आत्मा उसके घने जंगल और वन्यजीव को करीब से देखने का मौका मिलता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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