Chhattisgarh Tourism
- राम वन गमन पथ से मिनी तिब्बत
- पर्यटन को मिला उद्योग का दर्जा
- पर्यटन को उद्योग का दर्जा, विकास की नई उड़ान
छत्तीसगढ़, अपनी विशाल वन संपदा, नैसर्गिक जलप्रपातों, और समृद्ध ऐतिहासिक-धार्मिक स्थलों के साथ, वास्तव में पर्यटकों का स्वर्ग है। राज्य सरकार अब इस अप्रयुक्त क्षमता को वैश्विक मंच पर लाने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर हाल ही में राज्य सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। यह ऐतिहासिक कदम पर्यटन क्षेत्र में निवेश और सुविधाओं के विस्तार को गति देगा।
राज्य सरकार पर्यटकों की दृष्टि से स्थलों का सौंदर्यीकरण और सुविधाओं का विस्तार कर रही है। वनांचल में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए रिसॉर्ट और होटलों की श्रृंखला विकसित की जा रही है। साथ ही, वन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के लिए होम स्टे पॉलिसी भी तैयार की गई है, जिससे पर्यटन का लाभ सीधे स्थानीय समुदायों तक पहुंचे।
1. धार्मिक और पौराणिक पर्यटन
आस्था का केंद्र
छत्तीसगढ़ का धार्मिक और पौराणिक महत्व अत्यंत गहरा है। इसे प्रभु श्रीराम का ननिहाल (मां कौशल्या का मायका) भी कहा जाता है।
राम वन गमन पथ
प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल के लगभग 10 वर्ष छत्तीसगढ़ में बिताए थे। उनकी स्मृति में राम वन गमन पथ को विकसित किया जा रहा है। यह पथ कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से शुरू होकर सुकमा जिले के रामाराम तक जाता है, जो भक्तों के लिए एक बड़ा आकर्षण है।
शक्तिपीठ सर्किट
चारधाम की तर्ज पर राज्य में स्थित पांच शक्तिपीठों को जोड़ने की योजना है: सूरजपुर का कुदरगढ़, सक्ती जिले का चंद्रहासिनी (चंद्रपुर), बिलासपुर का महामाया (रतनपुर), दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर, और राजनांदगांव जिले का डोंगरगढ़ (बम्लेश्वरी)।
अन्य प्रमुख स्थल
चंदखुरी में माता कौशल्या का मंदिर, शिवनी नारायण में माता शबरी का मंदिर और राजिम (जिसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है, जहाँ पैरी, सोंढूर और महानदी का संगम होता है) प्रमुख धार्मिक केंद्र हैं।
विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग
जशपुर जिले के मयाली गांव से 35 किमी दूर स्थित मधेश्वर पहाड़ को ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में दर्ज किया गया है। यह न केवल धार्मिक बल्कि पर्वतारोहण और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी लोकप्रिय हो रहा है। केंद्र सरकार से प्राप्त ₹10 करोड़ की राशि से इस धाम का विकास किया जा रहा है।
2. ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर
छत्तीसगढ़ में सभ्यता और इतिहास के कई अनमोल अवशेष छिपे हुए हैं,
सिरपुर
प्रसिद्ध चीनी यात्री ने भी सिरपुर की यात्रा की थी। यह स्थल शैव-वैष्णव और बौद्ध धर्म का संगम स्थल रहा है, जहाँ आज भी बौद्ध विहार और स्तूपों के पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं।
भोरमदेव मंदिर
कबीरधाम जिले का यह शिव मंदिर अपनी 11वीं सदी की खजुराहो शैली की शिल्पकला के लिए विख्यात है।
गुफाएं और शैल चित्र
कुटुम्बसर की गुफा (जहाँ अंधी मछलियाँ और स्टैलेक्टाइट-स्टैलेग्माइट संरचनाएं पाई जाती हैं), सिंघनपुर की गुफा (आदिमानव के शैल चित्र), और रामगढ़ की गुफाएं (भारत की प्राचीनतम नाट्यशालाओं के अवशेष) पुरातात्विक महत्व के केंद्र हैं।
3. प्राकृतिक और ईको-टूरिज्म आकर्षण
राज्य के नैसर्गिक पर्यटन स्थल इसे प्रकृति प्रेमियों का पसंदीदा गंतव्य बनाते हैं,
चित्रकोट जलप्रपात
बस्तर का यह विशाल जलप्रपात अपनी चौड़ाई के कारण ‘भारत का नियाग्रा’ कहलाता है।
तीरथगढ़ जलप्रपात
यहाँ छोटे-छोटे जलधाराएं एक साथ गिरती हैं, जो मनोरम छटा बिखेरती हैं। जशपुर के रानीदाह और राजपुरी जैसे अन्य दर्शनीय जलप्रपात भी हैं।
मैनपाट
सरगुजा जिले में स्थित मैनपाट एक सुंदर हिल स्टेशन है, जिसे “छत्तीसगढ़ का शिमला” और “मिनी तिब्बत” भी कहा जाता है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, विशिष्ट तिब्बती संस्कृति और बौद्ध मठों के लिए प्रसिद्ध है।
नेचर और एडवेंचर
मयाली और धुड़मारास में नेचर टूरिज्म और बैम्बू रॉप्टिंग का आनंद लिया जा सकता है। धुड़मारास को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने 60 देशों के 20 पर्यटन गांवों में सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव उन्नयन कार्यक्रम के लिए चुना है।
वन्यजीव
राज्य में कांगेर घाटी नेशनल पार्क, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और अनेक वन्य अभयारण्य हैं।
पर्यटन नीति और भविष्य की दिशा
राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई पर्यटन नीति पर्यटकों को आकर्षक सुविधाएं देने पर केंद्रित है। यह नीति ईको-टूरिज्म, एथनिक (आदिवासी), एडवेंचर और वेलनेस टूरिज्म को प्राथमिकता देती है।
निवेश प्रोत्साहन
पर्यटन स्थलों पर आधुनिक सुविधाएं विकसित करने के लिए निवेश करने वाले उद्यमियों को अनेक प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
टूरिज्म सर्किट
बस्तर अंचल में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए टूरिज्म सर्किट विकसित किया जा रहा है।
डिजिटल प्रचार
छत्तीसगढ़ की पर्यटन संभावनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अपील है कि इस अमूल्य प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा और संवर्धन में समाज सक्रिय भूमिका निभाए, ताकि छत्तीसगढ़ सतत विकास की नई ऊंचाइयों को छू सके।

