Bhoramdeo Corridor: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का नाम सुनते ही हर किसी के मन में भोरमदेव मंदिर की छवि उभरती है। इसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” भी कहा जाता है, और अब यही ऐतिहासिक धरोहर जल्द ही पूरे भारत में अपनी खास पहचान बनाएगी। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष नीलू शर्मा ने हाल ही में भोरमदेव मंदिर पहुंचकर विशेष पूजा अर्चना की और “भोरमदेव कॉरिडोर” परियोजना के जरिए यहां पर्यटन को एक नई दिशा देने की बात कही।
क्यों खास है भोरमदेव?
भोरमदेव मंदिर 11वीं शताब्दी की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्त्व रखता है बल्कि इतिहास, संस्कृति और आस्था का प्रतीक भी है। घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग लवर्स के लिए भी स्वर्ग के समान है।
भोरमदेव कॉरिडोर क्या है?
पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्तावित भोरमदेव कॉरिडोर का मकसद इस क्षेत्र के धार्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों को एक टूरिज्म रूट में जोड़ना है। इसके तहत मंदिरों, वाटरफॉल्स, ट्राइबल कल्चर और जंगल सफारी को एक समग्र अनुभव में बदला जाएगा, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को एक यादगार यात्रा मिलेगी।
पर्यटन को मिलेगा बूस्ट
कबीरधाम में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। विज़न और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार काम कर रही है। भोरमदेव कॉरिडोर बनने के बाद यहां होटल, गाइड, ट्रांसपोर्ट और लोकल आर्ट्स को प्रमोट किया जाएगा। इससे ना सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि लोकल संस्कृति को भी एक नया मंच मिलेगा।
क्या बदलेगा कॉरिडोर से?
- पर्यटकों की संख्या में इजाफा
- स्थानीय लोगों के लिए रोजगा
- ट्राइबल संस्कृति और हैंडीक्राफ्ट्स को पहचान
- रोड कनेक्टिविटी और सुविधाओं में सुधार
- छत्तीसगढ़ को नैशनल और इंटरनेशनल टूरिज्म मैप पर जगह
पर्यटन मंडल अध्यक्ष नीलू शर्मा का यह दौरा केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि इसमें विज़न और इमोशन दोनों झलक रहे थे। उन्होंने पूजा अर्चना के साथ इस पावन स्थल के प्रति अपनी आस्था भी दिखाई और यह भरोसा भी दिलाया कि सरकार पर्यटन को लेकर गंभीर है।
उभरता हुआ टूरिज्म हॉटस्पॉट
कबीरधाम जिला अब सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक मल्टी-डायमेंशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की ओर बढ़ रहा है। भोरमदेव कॉरिडोर से जुड़ी योजनाएं आने वाले समय में यहां की तस्वीर बदलने का दम रखती हैं।