छत्तीसगढ़ को मिला पहला ट्राइबल म्यूजियम: 43 जनजातियों की संस्कृति को समर्पित अद्वितीय संग्रहालय

नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ के पहले ट्राइबल म्यूजियम का शुभारंभ हो गया है, जो न केवल राज्य की जनजातीय विविधता को दर्शाता है, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव भी प्रदान करता है। यह म्यूजियम ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट परिसर में स्थापित किया गया है, जहां तीन मंजिलों में फैली 14 भव्य गैलरियों में राज्य की 43 आदिवासी जनजातियों की जीवनशैली, संस्कृति और परंपराओं को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

बस्तर जैसे गांव का अहसास

जैसे ही आप म्यूजियम में प्रवेश करते हैं, आपको महुआ की भीनी खुशबू और बांस से आती मधुर ध्वनि के बीच बस्तर के किसी गांव की अनुभूति होती है। यह संग्रहालय केवल प्रदर्शनी स्थल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है जहां लोग आदिवासी जीवन के हर पहलू को करीब से देख और महसूस कर सकते हैं।

गहन जानकारी, तकनीक के साथ तालमेल

म्यूजियम में आगंतुकों के लिए किसी गाइड की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हर टच स्क्रीन मॉनिटर लगाए गए हैं, जो विस्तृत जानकारी देते हैं। प्रवेश द्वार पर एक टच स्क्रीन एलईडी है, जहां विजिटर्स को रजिस्ट्रेशन करना होता है। वहीं, हर गैलरी के सामने एक क्यूआर कोड दिया गया है, जिसे मोबाइल से स्कैन करते ही संबंधित जानकारी ऑनलाइन मिल जाती है।

होलोग्राफिक और आरएफआईडी टेक्नोलॉजी का उपयोग

ग्राउंड फ्लोर पर विशेष 3डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन डिस्प्ले बॉक्स लगाया गया है, जिसमें शिकार, कृषि, आवास, वाद्य यंत्र और आभूषण जैसी वस्तुएं आरएफआईडी टैग के साथ प्रदर्शित की गई हैं। स्कैनर से टैग स्कैन करते ही संबंधित वस्तु की होलोग्राफिक छवि और जानकारी स्क्रीन पर दिखाई देती है।

वास्तविक वस्तुओं का संग्रह

इस संग्रहालय को तैयार करने में तीन साल से अधिक का समय लगा है, जिसका मुख्य कारण था आदिवासी समुदाय से असली वस्तुएं जैसे औजार, कपड़े, आभूषण, वाद्य यंत्र आदि एकत्र करना। ये वस्तुएं स्वयं आदिवासी समुदाय से दान में प्राप्त की गई हैं। हर वस्तु को डिजिटली स्कैन कर उसका विस्तृत डाटा तैयार किया गया है।

एआई आधारित फोटो बूथ: बनाएं अपना आदिवासी अवतार

म्यूजियम में एक विशेष फोटो बूथ भी है, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के माध्यम से आगंतुकों का फोटो खींचकर उन्हें आदिवासी वेशभूषा में दिखाया जाता है। यह एक आकर्षक और मजेदार अनुभव है, जिसे लोग अपने साथ यादगार के तौर पर ले जा सकते हैं। जल्द ही यहां फोटो प्रिंट की सुविधा भी शुरू की जाएगी।

निःशुल्क प्रवेश और समय

यह संग्रहालय आम जनता के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है और यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

छत्तीसगढ़ के इस ट्राइबल म्यूजियम को केवल देखने का स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव कहें तो गलत नहीं होगा, जहां राज्य की जनजातीय विरासत जीवंत रूप में सामने आती है। यह संग्रहालय निश्चित ही लोगों को आदिवासी समाज के करीब लाने का एक सराहनीय प्रयास है।

Sonal Gupta

Content Writer

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