कलश मंदिर धमधा: 50 फीट ऊंचे मंदिर में नहीं हुआ है एक भी ईंट का इस्तेमाल

छत्तीसगढ़, अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर और अद्भुत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के मंदिरों की बनावट और वास्तुकला न केवल अद्वितीय है, बल्कि अपनी कहानियों और रहस्यमय आकर्षण से हर किसी का ध्यान खींचती है। इसी कड़ी में एक अनोखा मंदिर है धमधा का कलश मंदिर, जिसे बनाने में एक भी ईंट का उपयोग नहीं किया गया है। यह मंदिर आधुनिक समय की रचनात्मकता और धार्मिक श्रद्धा का उत्कृष्ट उदाहरण है।

मिट्टी के कलश से बन रहा है अनोखा मंदिर

कलश मंदिर का निर्माण पिछले 14 वर्षों से जारी है और यह अब भी अधूरा है। लेकिन इसकी खासियत यह है कि इसे बनाने में ईंट की जगह मिट्टी के ज्योति कलश का इस्तेमाल किया गया है। 50 फीट ऊंचे इस मंदिर को बनाने के लिए लोहे के सरियों का सहारा लेकर कलश को जोड़ा गया है।

मंदिर की दीवारें इन कलशों से बनाई गई हैं, और इसके अंदर भगवान हनुमान की मूर्ति विराजमान है। हर दिन यहां से गुजरने वाले लोग इस अद्भुत रचना को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि कला और वास्तुकला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

कहां स्थित है कलश मंदिर?

कलश मंदिर दुर्ग जिले से करीब 40 किलोमीटर दूर धमधा में स्थित है। यह मंदिर धमधा से खैरागढ़ जाने वाले मार्ग पर पड़ता है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अब तक 1 लाख से अधिक ज्योति कलश इस मंदिर में लगाए जा चुके हैं। इनमें से कई कलश छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिरों जैसे बस्तर की दंतेश्वरी देवी मंदिर और डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी देवी मंदिर से लाए गए हैं।

मंदिर की दीवारों पर कुछ पीतल के कलश भी देखे जा सकते हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। यह मंदिर इस क्षेत्र में श्रद्धा और आस्था का अनूठा प्रतीक बन गया है।

मंदिर बनाने की प्रेरणा

कलश मंदिर बनाने की प्रेरणा पुजारी को नवरात्रि में उपयोग होने वाले ज्योति कलश से मिली। नवरात्रि समाप्त होने के बाद उन्होंने देखा कि कई कलश यहां-वहां बिखरे पड़े रहते हैं। कुछ टूटे हुए कलश लोगों के पैरों के नीचे कुचल जाते हैं। यह स्थिति पुजारी को विचलित कर गई। उन्होंने सोचा कि जिन कलशों को नौ दिनों तक पूजनीय माना जाता है, उनका ऐसा अनादर क्यों हो?

इसके बाद उन्होंने विभिन्न मंदिरों से ज्योति कलश इकट्ठा करना शुरू किया और इस अनोखे मंदिर के निर्माण की योजना बनाई। इस मंदिर में कलश के साथ-साथ दीयों का भी उपयोग किया गया है, जो इसे और भी दिव्य बनाते हैं।

कलश मंदिर का विशेष महत्व

कलश मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और रीसाइक्लिंग का भी संदेश देता है। पुराने और अनुपयोगी कलशों को एकत्र करके मंदिर का निर्माण करना रचनात्मकता और श्रद्धा का अद्भुत संगम है।

यदि आप कभी दुर्ग जिले जाएं, तो धमधा के इस अद्भुत कलश मंदिर को देखने जरूर जाएं। यह मंदिर न केवल आपकी धार्मिक भावना को प्रबल करेगा, बल्कि आपको छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और वास्तुकला का अनूठा अनुभव भी कराएगा।एं एक बार इस मंदिर को देखने जरूर जाएं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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