

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI)-बेस्ड टूल के जरिए कार्यवाही का लाइव ट्रांसक्रिप्शन कर इतिहास रचा है। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम को, जिसे टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कानूनी की दुनिया का आधुनिकीकरण करना कहा जा रहा है, का एक कनेक्शन बेंगलुरु से है। सुप्रीम कोर्ट में 21 फरवरी को सुनवाई के लाइव ट्रांसक्रिप्शन के लिए एआई और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग तकनीका का इस्तेमाल किया। इस प्रोसेस के उपयोग को फिलहाल प्रायोगिक तौर पर किया गया है।
लाइव ट्रांसक्रिप्शन की व्यवस्था ऐतिहासिक
सर्वोच्च अदालत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि लाइव ट्रांसक्रिप्शन की व्यवस्था शुरू की गई है। CJI चंद्रचूड़ के कोर्ट रूम में लाइव ट्रांसक्रिप्शन लॉन्च हुआ। इस प्रक्रिया का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के बारे में पूरी जानकारी को जनता के सामने रखना है। बेंगलुरु के विकास महेंद्र, उनके भाई विनय महेंद्र और बहनोई बडारिवेशल किन्हल की कंपनी नोमोलॉजी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (Nomology Technology Private Limited) ने TERES (Technology Enabled RESolution) एआई इंजन को विकसित किया है। इसी का प्रयोग सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के लिए किया गया।
कैसे किया गया इस्तेमाल?
इसका उपयोग अक्सर मध्यस्थता की कार्यवाही को ट्रांसक्रिप्ट करने के लिए होता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल के दिनों में सुनवाई को पारदर्शी बनाने की दिशा में कार्य करने का निर्णय लिया था। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट भी शुरु किया था। अब लाइव ट्रांसक्रिप्शन के बाद वादी, सुनवाई के दौरान क्या-क्या कहा गया, इसका पूरा लेखा-जोखा देख सकेंगे।
ये जानना दिलचस्प होगा कि अमेरिका में कार्यवाही की ट्रांसक्रिप्ट वादी और जनता के लिए उपलब्ध होती है। अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही के ऑडियो और लिखित ट्रांसक्रिप्ट सुविधा देता है। ब्रिटेन में, यदि सुनवाई रिकॉर्ड की जाती है तो वादी एक शुल्क देकर ट्रांसक्रिप्ट पा सकता है। लाइव ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया शुरू होने जाने के बाद कोर्ट के अंदर वकीलों ने क्या कहा, जज ने क्या तर्क दिया कोर्ट की वेबसाइट पर ट्रांसक्रिप्शन को पूरी तरह से अपलोड किया जा सकेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि फिलहाल इसे प्रयोग के तौर पर इसकी शुरूआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके बाद इसका एक मानक तैयार होगा और नियम के तौर पर इसके लिए कदम उठाए जाएंगे। पहले ट्रांसक्रिप्शन में कमी को दूर करने के लिए इसे एक या दो दिन प्रयोग के आधार पर यह शुरू होगा। अगर इसमे कोई कमी नजर आएगी तो इसे दूर करने की दिशा में भी काम किया जाएगा।
कोर्ट ने सुनवाई के लाइव ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग द्वारा संचालित तकनीक का इस्तेमाल हुआ है।

