• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वैज्ञानिकों ने खोजा नया ग्रह
• AI ने एक घंटे में ही पता लगाया
• अंतरिक्ष में 5000 एक्सोप्लैनेट की मौजूदगी की मिली जानकारी
जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक नए ग्रह की खोज की है। खास बात ये है कि ये ग्रह सौर मंडल के बाहर अंतरितक्ष में मौजूद है। शोधकर्ताओं की टीम ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने इस एक्सोप्लैनेट का पता लगाने के लिए आर्टफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सहायता ली है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि उन्होंने इस ग्रह को सिर्फ एक घंटे में AI की मदद से खोजा है। यह ग्रह HD 142666 नामक एक तारे की परिक्रमा कर रहा है।
एक्सोप्लैनेट के बारे में
एक्सोप्लैनेट हमारे सौर मंडल के बाहर मौजूग हैं, यही वजह है कि इन्हें एक्सौप्लैनेट कहा जाता है। एक्सोप्लैनेट अपने आप में एक पूरी दुनिया की तरह है। ये सूर्य की परिक्रमा नहीं करते हैं बल्कि ये किसी तारे की परिक्रमा करते हैं। नासा ने पिछले साल अंतरिक्ष में करीब 5000 एक्सोप्लैनेट होने की बात कही थी।
इस रिसर्चर टीम से जुड़े एक वैज्ञानिक ने कहा कि उन्हें पारंपरिक तकनीक के जरिए ये तो पता चल गया था कि सौर मंडल के अलावा भी ग्रह मौजूद हैं, लेकिन AI की मदद से उन्हें एक्सोप्लैनेट की एग्जैक्ट लोकेशन का पता लगा। उनके मुताबिक, डिस्क की कई तस्वीरें खींची गईं। इसमें डिस्क का एक रीजन काफी हाइलाइटेड था, AI मॉडल ने इसी जगह ग्रह की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने आगे बताया कि, AI मॉडल को ट्रैडिशनल तकनीक से मिली ऑबजर्वेशन के साथ अप्लाई करने पर एक डिस्क का पता लगा। जब साइंटिस्ट की टीम ने अपनी खोज को पुराने ऑब्जर्वेशन के साथ इसे रखा तो पता चला कि इस डिस्क का पहले भी एनालिसिस हो चुका है। इसके बावजूद यही माना जाता रहा कि इसमें कोई ग्रह नहीं है। पिछली बार की खोजों की तरह ही वैज्ञानिकों की टीम ने मॉडल बनाकर इस पर स्टडी किया जिससे ये पता लगा कि कई बार ग्रह अपनी मौजूदगी के संकेत देता है, तो कई बार इसके बारे में पता नहीं चल पाता है।
रिसर्चर ने ये भी बताया कि उन्हें AI की मदद से कई ऐसी चीजों का पता चला जिन पर पहले ध्यान नहीं गया। ये इस बात का उदाहरण है कि AI एनालिसिस की एक्युरेसी और समय को कम करने में साइंटिस्ट के बहुत काम आ सकता है।
एक्सोप्लैनेट पर 11 दिन का होता है एक साल
रॉस 508 बी और रेड ड्वार्फ के बीच की दूरी काफी कम है, यही वजह है कि एक्सोप्लैनेट को तारे की परिक्रमा करने में सिर्फ 10.8 दिन का ही समय लगता है। एक्सोप्लैनेट पर एक साल 11 दिन के बराबर होता है। पृथ्वी पर एक साल 365 दिन के बराबर होते हैं।
नोट- साइंस से जुड़ी यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और जारी की गई कुछ रिसर्च पेपर्स पर आधारित है।