ओलंपिक खेलों का स्वर्णिम इतिहास : एथेंस 1896 से टोक्यो 2020 तक

1896 से
2020 तक 124
सालों का ओलंपिक सफर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। एथेंस
से शुरू हुई परंपरा आज पूरा विश्व निभा रहा है। ओलंपिक के इस सफर में कई पड़ाव ऐसे
भी आए जब कुछ पल इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गए। 4 सालों में एक बार होने वाले
इस खेल आयोजन के साथ कई किस्से जुड़े हैं।

दिलचस्प है ओलंपिक का इतिहास

1896 में
जब एथेंस में ओलंपिक की शुरूआत हुई
,
तब इसमें सिर्फ पुरुष प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। यह ओलंपिक खेलों
का एकमात्र आयोजन था
, जिसमें महिलाओं ने भाग नहीं लिया। इसके
अलावा पहले ओलंपिक आयोजन में 14 देशों के 200 खिलाड़ियों ने 43 खेलों में हिस्सा लिया
था। प्रथम ओलंपिक में जीतने वाले प्रतिभागियों को सिल्वर मेडल
, प्रमाण पत्र और ओलिव के पत्ते दिए गए। जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर आने वाले
प्रतिभागियों को खाली हाथ लौटना पड़ा था। 1908 के लंदन ओलंपिक में पहली बार खिलाड़ियों
ने अपने देश के झंडे के साथ स्टेडियम में  मार्च
पास्ट किया और साल 1928 के ओलंपिक में पहली बार मशाल जलाने की परंपरा शुरू हुई। यह
आयोजन जर्मनी में हुआ था।

ओलंपिक में भारत का पहला पदक

भारत के पहले स्वर्ण पदक जीतने का किस्सा काफी रोचक है। दरअसल
जब 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक के लिए भारतीय हॉकी टीम बॉम्बे बंदरगाह पर पहुंची तो
, उन्हें छोड़ने के लिए सिर्फ तीन लोग पहुंचे
थे। किसी को भी यह नहीं लगा था कि
, भारतीय टीम पदक जीत पाएगी।
लेकिन जब हमारी भारतीय हॉकी टीम भारत पहुंची तो किसी को भी अपनी आंखों पर विश्वास ही
नहीं हुआ। क्योंकि भारत अपने पहले ही ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत कर भारत लौटी थी। और
जीत का सिलसिला ऐसा जो लगातार जारी रहा। भारतीय हॉकी टीम ने 1932
, 1936,1948 और 1956 के ओलंपिक गेम्स में गोल्ड जीता।

भारत का पहला व्यक्तिगत मेडल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में
केडी जाधव ने जीता। उन्होंने कुश्ती में पहला व्यक्तिगत पदक जीता था। इस जीत का जोश
भारतीयों में ऐसा था, कि वह जब भारत लौटे तो 100 बैलगाड़ियों से उनका स्वागत किया गया।

2004 एथेंस ओलंपिक में भारत के राज्यवर्धन सिंह राठौर ने
भारत को पदक दिलाया। यह पदक शूटिंग में भारत का पहला पदक था। उनके बाद 2008 के बीजिंग
ओलंपिक में भारत के अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर रायफल में गोल्ड जीता था।

ओलंपिक गेम्स और महिला खिलाड़ी

आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी भागीदारी दर्ज नहीं
कराई हो। एक रिपोर्ट के अनुसार टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले कुछ देशों जैसे ग्रेट
ब्रिटेन
, अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के खिलाड़ियों में महिला खिलड़ियों की संख्या ज्यादा
है। भारत की तरफ से भी पिछले ओलंपिक की तुलना में महिला खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा
हुआ है। साल 1900 में आयोजित पेरिस ओलंपिक में पहली बार 20 महिलाओं ने भाग लिया था।

भारत की बात करें तो अब तक केवल 4 महिलाओं ने ओलंपिक में
मेडल जीता है। ओलंपिक के लंबे इतिहास में पहली बार वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक गेम्स
में भारत की कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांस्य जीता था। इसके बाद 2012 में
लंदन में हुए ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम ने और बैडमिंटन में साइना नेहवाल
ने भारत को पदक दिलाया था। वर्ष 2016 में साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य जीतकर भारत
का नाम रोशन किया। इन महिला खिलड़ियों ने अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत से वर्षों की रूढ़ियों
को तोड़ते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए अवसर गढ़ दिए और इसी का यह परिणाम है
, कि टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत की 52 महिला
खिलाड़ी भाग लें रही हैं।

टोक्यो ओलंपिक 2020

23 जुलाई से जापान के टोक्यो में शुरु हो रहे ओलंपिक गेम्स
पर पूरी दुनिया की नज़र होगी। टोक्यो ओलंपिक में इस बार भारत से 119 खिलाड़ी शामिल
होंगे। जिनमें 67 पुरुष और 52 महिलाएं होंगी। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा खिलाड़ियों
का दल है। पदकों की बात की जाए तो भारत ने अब तक ओलंपिक में कुल 28 मेडल जीते हैं।
जिसमें 9 गोल्ड
, 7 सिल्वर और
12 ब्रॉन्ज शामिल है। हम यह उम्मीद करते हैं कि हमारे खिलाड़ी अपने बेहतर प्रदर्शन
से भारत का नाम रोशन करेंगे।

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Dr. Kirti Sisodia

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