Malkhamb: कुछ दिनों पहले एक प्रतिष्ठित टीवी शो इंडियाज गॉट टैलेंट (India’s Got Talent) के फिनाले को बस्तर के आदिवासी बच्चों ने जीत लिया। इन बच्चों ने मलखंब में अपना टैलेंट दिखाया और देश दुनिया में अपना नाम किया। भले ही मलखंब में इन बच्चों ने एक जाना पहचाना खिताब जीत लिया हो मगर मलखंब को उतनी पहचान नहीं मिली है। इस जनरेशन के ज्यादातर लोगों को मलखंब नाम ही नहीं पता। ऐसे में आज हम मलखंब के इतिहास के बारे में जानेंगे। साथ ही ये भी जानेंगे कि भारत के इस प्राचीन खेल को आज के लोग किस नाम से जानते हैं…
मलखंब क्या है?
‘मल’ का शाब्दिक अर्थ है कुश्ती और ‘खंब’ का अर्थ है खंभा यानी कि पिल्लर। दोनों शब्द आपस में मिलकर मलखंब बनाते हैं। इसे सरल शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि वो कुश्ती जिसे खंभे पर किया जाता हो। पुराने समय में पहलवान और योद्धाओं ने मार्शल आर्ट ट्रिक्स को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण के रूप में पोल का इस्तेमाल शुरू किया था। बाद में वो रिंग या युद्ध के दौरान मैदान में विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करते थे।
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इतिहास
मलखंब (Malkhamb) के इतिहास की बात करें तो ठीक-ठीक ये नहीं कहा जा सकता है कि ये कब शुरू हुआ था। लेकिन प्राचीन खेलों के रूप में इसे सदियों से खेला जाता रहा है। ऐतिहासिक साक्ष्यों की बात करें तो मलखंब का उल्लेख प्राचीन भारतीय महाकाव्यों जैसे रामायण, प्राचीन चंद्रकेतुगढ़ मिट्टी के बर्तनों में मिल जाते हैं। इसके अलावा भारत में बौद्ध चीनी तीर्थयात्रियों के किताबों में भी इसका इसका जिक्र किया गया है।
मलखंब का सबसे पहला डायरेक्ट डिस्क्रिप्शन 12वीं शताब्दी की शुरुआत में मानसोलस नाम के पाठ में मिलता है। इसे चालुक्य राजा सोमेश्वर ने लिखा था।
हवाई योग या जिमनास्टिक का रूप
मलखंब को हम प्राचीन मार्शल आर्ट के एक रूप में समझ सकते हैं। इसका उपयोग पहलवानों और प्राचीन युग के योद्धाओं को ट्रेनिंग में सहायक के रूप में दिया जाता था। मार्शल आर्ट के प्रशिक्षण के रूप में इसकी शुरूआत हुई।
वर्टिकल पोल पर होने वाला भारतीय जिमनास्टिक की पहचान
मलखंब (Malkhamb) पिछले कुछ सालों से एक शानदार आकर्षक खेल के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर रहा है। इस खेल ने पहली बार बर्लिन 1936 ओलंपिक के दौरान पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया था।
साल 2019 में पहली बार मलखंब विश्व चैंपियनशिप का आयोजन किया गया। इस आयोजन में 15 से अधिक देशों के 150 से अधिक एथलीट भाग लेने के लिए मुंबई पहुंचे थे।
इसके बाद मलखंब ने पहली बार साल 1958 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय जिमनास्टिक चैंपियनशिप में राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में जाना गया। साल 1981 में मलखंब फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की हुई।
Positive सार
मलखंब (Malkhamb) संतुलन, निपुणता और अनुशासन का खेल है। इससे एकाग्रता के साथ ही शारीरिक बल भी मिलता है। मलखंब की विशेषताओं को देखते हुए 9 अप्रैल 2013 को मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने मलखंब को राज्य खेल घोषित करने का निर्णय लिया था। भारत का ये प्राचीन खेल आज नए तरह से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है।