IND Vs ENG: दोहरा शतक लगाने वाला कौन है ये क्रिकेटर, हो रही है ब्रैडमैन से तुलना!

IND Vs ENG Yashasvi Jaiswal: विशाखापट्नम में दूसरे टेस्ट मैच में भारत के ओपनर बल्लेबाज Yashasvi Jaiswal ने दोहरा शतक मारकर ये साबित कर दिया है कि क्रिकेट में भारतीय युवा क्रिकेटर्स का क्या रोल है। उनके बारे में बात करत हुए आकाश चोपड़ा ने कहा कि “इन दिनों यशस्वी सर डॉन ब्रैडमैन से भी ऊपर हैं।”

विजाग में दूसरे टेस्ट मैच में भारत के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल ने डबल सेंचुरी लगाई है। यशस्वी ने 271 गेंदों में अपना ये शतक पूरा किया।

खास हैं यशस्वी

विशाखापट्टनम में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में दूसरे दिन बाएं हाथ के खिलाड़ी यशस्वी ने पहले दिन के खेल ख़त्म होते-होते 179 बनाकर नॉटआउट रहे थे। उन्होंने मैच से पहले कहा था कि वो दोहरा शतक बनाना चाहेंगे और अगले ही दिन उन्होंने ऐसा किया भी। यशस्वी ने 290 गेदों में 19 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 209 रनों शानदार पारी खेली। इसके साथ ही वो टेस्ट में डबल सेंचुरी लगाने वाले भारत के तीसरे सबसे युवा बैट्समैन बन गए हैं। यशस्वी ने 22 साल 36 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है। उनसे पहले सुनील गावस्कर और विनोद कांबली के नाम डबल सेंचुरी है। 

सर डॉन ब्रैडमैन से क्यों हुई तुलना?

चोपड़ा ने यूट्यूब के जरिए कहा कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 10 या उससे ज्यादा शतक लगाने वाले खिलाड़ियों में यशस्वी भी शामिल हुए। इस वक्त यशस्वी सर डॉन ब्रैडमैन से भी ऊपर हैं। यशस्वी के अलावा किसी भी भारतीय बल्लेबाज ने अपनी पारी को बड़े स्कोर में नहीं बदला।

संघर्षों से लड़कर तय किया यहां तक का सफर

यशस्वी जयसवाल काफी साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। यशस्वी सिर्फ 10 साल के थे तभी से उन्हें क्रिकेटर बनना था। वो उत्तर प्रदेश से मुंबई आ गए। वहाँ वो कुछ दिन अपने चाचा के पास रहे और क्योंकि उनके चाचा दादर में रहते थे, यशस्वी को रोज कई घंटे यात्रा कर प्रैक्टिस के लिए पहुंचना होता था। इसके बाद उन्होंने एक डेयरी की दुकान में काम करना शुरू कर दिया, बदले में उन्हें रहने के लिए जगह मिल गई। जब डेयरी मालिक ने उन्हें निकाल दिया तब वो ‘मुस्लिम यूनाइटेड क्लब’ के ग्राउंडस्टाफ के टेंट में आज़ाद मैदान में रहने लगे। परिवार ने कई बार वापस बुलाया लेकिन उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। 3 साल उन्होंने टेंट में ही रहकर अपने गेम को निखारा। यशस्वी ज्वाला सिंह से काफी प्रभावित थे। ज्वाला सिंह ने ही यशस्वी की मदद भी की। उन्होंने ने न सिर्फ यशस्वी जयसवाल को अपने पास रखा, बल्कि उनके कानूनी अभिभावक भी बनें। यशस्वी जयसवाल अपनी मेहनत के दम पर मुंबई अंडर 19 क्रिकेट का हिस्सा बन गए और सिर्फ 17 वर्ष की उम्र में घेरलू क्रिकेट में डेब्यू किया। इस तरह एक ग्राउंड कर्मचारी के टेंट से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक का सफर पूरा किया और आज पूरी दुनिया उनका नाम जान रही है।

Positive सार

यकीनन यशस्वी जयसवाल भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं, उनका संघर्ष हर किसी को प्रेरणा दे रही है। उनकी मेहनत यकीन दिलाती है कि मेहनत का फल हमेशा मिलता है। यशस्वी से आज हर युवा प्रभावित हो रहा है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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