

भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी काफी दिलचस्प खेल माना जाता है। दुनिया के सबसे बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी भी भारत ने ही दिए हैं। हम बात कर रहे हैं हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ‘मेजर ध्यानचंद’ जी की। कहते हैं कि जब हॉकी खेलते वक्त लगता था कि उनके स्टिक से बॉल चिपकी हुई लगती थी। यही नहीं भारत ने महिला और पुरुष दोनों ही वर्ग में कई महान खिलाड़ी दिए हैं। वहीं अब भारत सरकार हॉकी को देश के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय शासी निकाय के द्वारा हॉकी इंडिया का अभियान ‘हर घर हो हॉकी की पहचान’ कार्यक्रम की शुरूआत की है।
अभियान ‘हर घर हो हॉकी की पहचान’ का उद्देश्य
इस अभियान से सभी जिलों को नियमित कोचिंग शिविरों और अंतर-जिला प्रतियोगिता की मेजबानी के लिए शामिल किया जाएगा। राष्ट्रीय खेल महासंघ ने सभी राज्यों से कहा है कि कि वे अपने संबंधित जिला संघों के साथ मिलकर काम करें और हॉकी को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए नियमित गतिविधियों को होस्ट करें।
भारत के कई राज्यों में शुरू हुई तैयारी
हॉकी इंडिया का अभियान ‘हर घर हो हॉकी की पहचान’ कार्यक्रम के तहत विभिन्न राज्यों में हॉकी स्टिक और गेंदों का वितरण किया गया है। जबकि हॉकी इंडिया के पदाधिकारी अपनी सदस्य इकाइयों के साथ लगातार संपर्क कर रहे हैं। ताकि आगे की सुविधा और खेल को बढ़ावा देने के लिए किसी भी तरह की सहायता दी जा सके। हॉकी एसोसिएशन ऑफ ओडिशा, हॉकी झारखंड, हॉकी बिहार और हॉकी अरुणाचल सहित कई राज्यों ने इन प्रतियोगिताओं और जिला स्तर पर कोचिंग शिविर के लिए तैयारी पहले ही शुरू कर दी है।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने मीडिया से कहा, “हर स्तर पर हॉकी टूर्नामेंट आयोजित करने और राज्य और जिला सदस्य इकाइयों को प्रेरित करने के अभियान के हिस्से के रूप में, हॉकी इंडिया ने हाल ही में चार जोन (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) में से प्रत्येक में चार अधिकारियों को नियुक्त किया है। ये हमारे राज्य और जिला इकाइयों से इस बात पर चर्चा करेंगी कि इन टूर्नामेंटों और कोचिंग शिविरों की मेजबानी न केवल खेल को विकसित करने के लिए ही हो बल्कि अपने संबंधित राज्य में युवाओं के बीच एक मजबूत खेल संस्कृति का निर्माण करने के लिए भी जरूरी है। ये टूर्नामेंट खिलाड़ियों के लिए पहचान की भावना पैदा करते हैं और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने का काम करेंगे।”

