Bastar Olympic 2025: बस्तर ओलंपिक से बस्तर में क्या बदल रहा है?

Bastar Olympic 2025: छत्तीसगढ़ की मिट्टी में जोश, जज़्बा और जनजातीय संस्कृति की गूंज हमेशा से रही है। इसी गूंज को और गहराई से महसूस करने का अवसर मिल रहा है ‘बस्तर ओलंपिक 2025’ के माध्यम से। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में आयोजित यह खेल महोत्सव न केवल एक प्रतियोगिता है, बल्कि बस्तर की सामाजिक एकता, आत्मविश्वास और विकास की नई कहानी भी है।

बस्तर के युवाओं को मिलेगा मंच

Bastar Olympic 2025 का उद्देश्य बस्तर संभाग के युवाओं की नैसर्गिक खेल प्रतिभा को मंच देना और खेलों के ज़रिए शांति व समरसता का संदेश फैलाना है। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में गृह (पुलिस) विभाग और खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हो रहा यह महोत्सव प्रदेश के रजत जयंती वर्ष को एक खास पहचान दे रहा है।

जन-आंदोलन बन चुका खेल उत्सव

‘बस्तर ओलंपिक 2025’ के प्रति लोगों में जोश और जुड़ाव इस बात से झलकता है कि अब तक 3 लाख 91 हजार 289 खिलाड़ियों ने पंजीयन कराया है। इनमें 1 लाख 63 हजार 668 पुरुष खिलाड़ी और 2 लाख 27 हजार 621 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। यह आंकड़ा केवल खेलों के प्रति उत्साह नहीं दर्शाता, बल्कि यह भी बताता है कि बस्तर की धरती पर अब खेल एक सामाजिक चेतना और समान भागीदारी का प्रतीक बन चुके हैं।

एक नया विकास मॉडल

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था- “बस्तर ओलंपिक केवल एक खेल आयोजन नहीं है, यह ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है, जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं।”

वास्तव में यह पहल शासन और जनता के बीच विश्वास की डोर को मजबूत करने वाला ‘Sports for Peace’ मॉडल बन चुकी है। बस्तर का यह प्रयोग पूरे देश में एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

परंपरा और आधुनिकता का संगम

बस्तर ओलंपिक में पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के खेलों को समान स्थान दिया गया है। इसमें एथलेटिक्स, तीरंदाजी, फुटबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, कराते, वेटलिफ्टिंग और हॉकी जैसे खेल शामिल हैं। वहीं, स्थानीय खेलों और जनजातीय परंपरा से जुड़े खिलाड़ियों को भी एक बड़ा मंच मिल रहा है, जिससे बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को खेलों के ज़रिए राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया जा सके।

बस्तर के दिल से भारत के लिए संदेश

Bastar Olympic 2025 सिर्फ खिलाड़ियों का नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग का है। इसमें जूनियर (14–17 वर्ष), सीनियर वर्ग, और विशेष रूप से नक्सल हिंसा से दिव्यांग हुए व्यक्ति और आत्मसमर्पित नक्सली भी हिस्सा ले रहे हैं। यह केवल प्रतियोगिता नहीं बल्कि पुनर्वास, पुनर्जीवन और सामाजिक एकीकरण की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक कदम है।

ब्लॉक से लेकर संभाग तक

‘बस्तर ओलंपिक 2025’ को तीन स्तरों पर आयोजित किया जा रहा है-

  • विकासखंड स्तर:- 25 अक्टूबर से
  • जिला स्तर:- 5 नवम्बर से
  • संभाग स्तर:- 24 नवम्बर से

विजेताओं को नगद पुरस्कार, मेडल, ट्रॉफी और शील्ड प्रदान की जाएगी। पुरस्कार राशि को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से सीधे खिलाड़ियों के खाते में जमा किया जाएगा।

संभागीय स्तर पर विजेता खिलाड़ियों को “बस्तर यूथ आइकॉन” के रूप में प्रचारित किया जाएगा — ताकि वे क्षेत्र के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकें।

वन भैंसा और पहाड़ी मैना प्रतीक

‘बस्तर ओलंपिक 2025’ के शुभंकर (Mascot) वन भैंसा और पहाड़ी मैना बस्तर की जीवंतता, ऊर्जा और सामुदायिक शक्ति के प्रतीक हैं। यह शुभंकर न केवल क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाते हैं बल्कि यह संदेश भी देते हैं कि बस्तर में प्रकृति, संस्कृति और खेल का संगम एक साथ फल-फूल रहा है।

बस्तर से उठती उम्मीद की लौ

आज जब बस्तर के गांवों में बच्चे मैदान में दौड़ रहे हैं, महिलाएं खेलों में पदक जीत रही हैं और पूर्व नक्सली नई शुरुआत कर रहे हैं, तब यह आयोजन बस्तर की नई कहानी लिख रहा है शांति, विश्वास और विकास की कहानी।

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Rishita Diwan

Content Writer

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