एक कहावत है ‘जहां चाह है वहां राह है’ और इस कहावत को सच साबित करती हैं उत्तरप्रदेश की अरुणिमा सिन्हा, जिन्होंने एक पैर के सहारे अंटार्कटिका को फतह कर लिया। उन्होंने अंटार्कटिका पर चढ़ाई कर पहली भारतीय विकलांग महिला का खिताब अपने नाम किया है।
अरुणिमा के बारे में
साल 1988 अरुणिम का जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में अपना बचपन बिताया। बता दें कि साल 2011 के बाद से अरूणिमा सिन्हा ने एक दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया था। अरुणिमा ट्रेन से लखनऊ से देहरादून जा रही थीं और इस दौरान उनके बैग और सोने की चेन खींचने के प्रयास में कुछ अपराधियों ने बरेली के पास पदमावती एक्सप्रेस से अरुणिमा को ट्रेन से बाहर फेंक दिया था। इस घटना के बाद उनकी जान बच गई लेकिन उन्होंने अपना एक पैर खो दिया था। इस हादसे के बाद अरूणिमा ने खुद को संभाला और जिंदगी की शुरूआत एक नए सिरे से की। उन्होंने हार नहीं मानी और एक पैर के सहारे 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल कर लिया।
अरुणिमा का एवरेस्ट तक का सफर
एवरेस्ट का सफर अरुणिमा के लिए आसान नहीं था। दरअसल एवरेस्ट के टेढ़े-मेढ़े रास्तों ने उनके लिए काफी मुश्किलें पैदा की। लेकिन चुनौतियों और मुश्किलों को मात देना अरुणिमा के अंदर था। माउंट एवरेस्ट चढ़ते समय अरुणिमा को अपने बाकी साथियों के साथ रफ्तार को मैच करना होता था। लेकिन एक पैर आर्टिफिशियल होने से उनके लिए बाकियों के रफ्तार को मैच करना थोड़ा मुश्किल हो जाता था। कई बार वे रास्ते में पीछे छूट जाया करती थीं। एक बार तो उनके गाइड ने उन्हें वापस जाने तक की सलाह दे दी थी। बावजूद इसके अरुणिमा ने अपने हौसले को कम नहीं होने दिया और आखिरकर उन्होंने एवरेस्ट पर अपना झंडा गाड़ ही दिया।