वर्ल्डक इकोनॉमिक फोरम की साल 2022 की रिपोर्ट जारी हो गई है, जिसके अनुसार पूरी दुनिया में जेंडर इक्वालिटी में बराबरी का लक्ष्यि हासिल करने में अभी भी हमें 132 साल लगेंगे। लेकिन इतने समय में भी यह लक्ष्यि पूरा नहीं हो पाएगा। लेकिन भारत के लिए इस क्षेत्र में अच्छी खबर है। दरअसल भारतीय महिलाएं लगातार तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार इस साल भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टहर्स) में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बढ़कर 18 फीसदी पर आ गया है। 10 साल पहले यह आंकड़ा 12 प्रतिशत ही था। यानी पिछले 10 सालों में भारतीय महिलाओं ने बढ़ोत्तरी हासिल की है। हालांकि रफ्तार काफी धीमी है लेकिन यह रिपोर्ट उम्मीद जगाती है।
हाल में जारी हुई एक और रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2013 से लेकर 2022 तक भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की हिस्सेीदारी में छह फीसदी बढ़ी है। लेकिन अभी भारतीयों को मेहनत करनी होगी क्योंकि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेान, नॉर्वे, स्वीमडन, फिनलैंड, आइसलैंड और डेनमार्क जैसे देशों में संसद से लेकर कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टेर्स तक में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत भारत से कहीं ज्याकदा है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस की कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टंर्स में महिलाओं की हिस्सेीदारी का प्रतिशत 44.5, स्वीकडन का प्रतिनिधित्वट 40 फीसदी, नॉर्वे में अनुपात 36.4 फीसदी है। जिसके बाद कनाडा , ब्रिटेन, ऑस्ट्रेसलिया और अमेरिका का नंबर आता है। ब्रिटेन में 35.3 फीसदी डायरेक्टतर्स महिलाएं हैं और ऑस्ट्रे लिया में महिलाओं का यह प्रतिशत 33.5 प्रतिशत है।
ऐसा कह सकते हैं कि 2011 में आए कंपनी एक्ट से भारतीय महिलाओं को लाभ मिला है, जिसमें निफ्टी के तहत आने वाली हर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टतर्स में एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य किया गया था। उसके बाद से हुए कई सर्वे और आंकड़े लगातार महिला बोर्ड ऑफ डायरेक्टैर्स की संख्याा में हुई बढ़ोतरी की ओर जा रहे हैं।
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