Balamani Amma: गूगल ने मनाया मलयालम साहित्य की दादी का जन्मदिन, 113वीं जयंती पर डूडल से दी श्रद्धांजलि!



Balamani Amma: गूगल (Google) अक्सर कुछ खास लोगों को डूडल के जरिए याद करता है। और इस बार सर्च इंजन गूगल ने डूडल के जरिए मलयालम साहित्य की दादी को याद किया। दरअसल 19 जुलाई को मलयालम साहित्यकार बालमणि अम्मा की 113वीं जन्मतिथी थी। जिसे याद कर गूगल ने डूडल से उन्हें याद किया। बालमणि अम्मा के डूडल को केरल की आर्टिस्ट देविका रामचंद्रन ने बनाया है।

मलयालम साहित्य की प्रतिष्ठित कवित्रियों में से एक

19 जुलाई, 1909 को केरल के त्रिशूर में नालापति बालमणि अम्मा का जन्म हुआ था। वे 20 शताब्दी की प्रतिष्ठित मलयालम कवित्रियों में से एक थीं। उन्होंने 500 से ज्यादा कविताएं लिखी हैं, खास बात यह है कि उन्हें मलयालम साहित्य की ‘दादी’ भी कहते हैं।

बालमणि अम्मा ने कई प्रतिष्ठित रचनाएं लिखीं लेकिन सबसे खास यह है कि उन्होंने कभी भी फॉर्मल एजुकेशन नहीं ली थी। नलप्पट नारायण जो कि मलयालम भाषा के चर्चित कवि वे बालमणि के मामा थे। उनके पास किताबों का शानदार कलेक्शन था। जिसने नन्हीं बालमणि अम्मा को एक कवि बनने की प्रेरणा दी। 19 साल की उम्र में उनका विवाह वीएम नायर से हुई।

रचनाएं

बालमणि अम्मा ने कुदुम्बिनी, धर्ममार्गथिल, श्रीहृदयम्, प्रभांकुरम, जैसी कविताएं रची। साहित्य में योगदान के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार और एज्हुथाचन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है। उनकी पहली कविता कोप्पुकाई, 1930 में प्रकाशित हुई थी। उस समय कोचीन के शासक रहे परीक्षित थंपुरन ने उन्हें एक प्रतिभाशाली कवि कहा और उन्हें ‘साहित्य निपुण पुरस्कारम’ से भी सम्मानित किया। बालमणि अम्मा की प्रमुख रचनाओं में ‘अम्मा’, ‘मुथुस्सी’, ‘मजुविंते कथा’ भी है।

बालमणि अम्मा के नाम से कविता, गद्य और अनुवाद के 20 से अधिक संकलन प्रकाशित हुए हैं। उनकी रचनाओं में बच्चों और पोते-पोतियों के लिए उनका प्रेम झलकता है। और इसीलिए उन्हें कविता की मां और दादी की उपाधि मिली है। साल 2004 में बालमणि अम्मा ने 29 सितंबर को दुनिया को अलविदा कह दिया।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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