हमारे आसपास ऐसे कई लोगों के उदाहरण हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों से जूझकर अपना व अपने परिवार का नाम रोशन किया है। मध्य प्रदेश की रहने वाली निशा कुशवाहा को एमपीपीएससी सिविल जज परीक्षा पास करने के बाद जज नियुक्त किया गया है। उनकी सफलता सभी के लिए प्रेरणा है।
मन में कुछ करने का जज्बा हो तो राह भी अपने आप तैयार हो जाती है। निशा के पिता सीताराम कुशवाहा पेशे से किसान हैं। उनके लिए अपने 5 बच्चों को शिक्षित करना काफी बड़ा काम था। लेकिन उनके पिता को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ (Beti Bachao Beti Padhao) योजना से काफी प्रेरणा मिली। और उनकी बेटी निशा ने जज बनकर न सिर्फ उनका, बल्कि पूरे समाज का नाम रोशन कर दिया।
यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडलिस्ट थीं निशा
निशा ने एक प्राइवेट स्कूल से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। फिर सेवा सदन महाविद्यालय से उन्होंने बीकॉम की डिग्री हासिल की। उसके बाद सेवा सदन लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। निशा कुशवाहा देवी अहिल्या बाई यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडलिस्ट थीं। प्रदेश की पूर्व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने उन्हें सम्मानित भी किया था। निशा कुशवाहा ने सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना से स्कॉलरशिप के जरिए अपनी पढ़ाई पूरी की।
समाज की पहली महिला जज हैं निशा
एमपी सिविल जज परीक्षा पास करने के बाद निशा कुशवाहा समाज में बधाई का पात्र बन चुकी हैं (MPPSC Civil Judge Exam) । जबलपुर हाईकोर्ट से भी निशा कुशवाहा के लिए बधाइयां आई हैं। बुरहानपुर और माली समाज की निशा कुशवाह एकमात्र ऐसी लड़की हैं, जिन्होंने इतनी पढ़ाई की है और सिविल जज की पोजिशन तक पहुंची हैं।