Indian Air Force की चीता पायलट की काबिलियत ने कारगिल युद्ध में बढ़ाया था देश का मान!

Indian Air Force Day 2022: 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस शौर्य और पराक्रम के उत्सव को मानने का दिन है। भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली वायुसेना है। जिसने कई युद्धों में भारत का सिर गर्व से ऊंचा किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच के बीच का जंग कारगिल युद्ध भला कौन भूल सकता है। वायुसेना ने कारगिल युद्ध में दुश्मन की मिसाइलों का सीधा मुकाबला किया था वहीं सीमा पर तैनात जवानों को हेलीकॉप्टर के जरिए मदद भी पहुंचाया।


कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना की ओर से दो महिला योद्धा पायलटों की जांबाजी को भला कौन भूल सकता है। जिसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन शामिल हैं।

महिला पायलट

दरअसल कारगिल युद्ध से पहले तक वायुसेना में महिलाओं को फुल कमीशन नहीं दिया जाता था। उस समय महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए महज सात साल ही वायु सेना में अपनी सेवाएं दे सकती थीं। 1994 में भारतीय वायुसेना का पहला बैच तैयार हुआ, जिसमें 25 ट्रेनी पायलटों को शामिल किया गया था। गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन उसी बैच में थीं।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन सैन्य परिवार से संबंध रखती थीं। 1999 में उन्हें कारगिल युद्ध के जरिए देश की रक्षा का सौभाग्य मिला। हालांकि इस के पहले तक उन्होंने कभी फाइटर जेट नहीं उड़ाया था लेकिन जब पाकिस्तान से जंग शुरू हुई तो वायुसेना में पायलटों की आवश्यक्ता पड़ी। गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन को तुरंत कारगिल जंग में शामिल होने का आदेश मिला।

दोनों महिला पायलटों ने देश सेवा के लिए तुरंत पहुंच गईं। दोनों युद्ध के दौरान घायल सैनिकों को सीमा से लाने, राशन की सप्लाई करने का काम संभालती थीं। उनके लिए केवल पहली बार फाइटर जेट उड़ाना चुनौती नहीं थी, बल्कि युद्ध क्षेत्र में पाकिस्तानी पोजीशन पर निगाह रखना और दुश्मन की मिसाइलों से बचते हुए निकलना भी बड़ी चुनौती थी। पर इन पाययलट्स ने देश सेवा को सबसे पहले रखा और कारगिल युद्ध की सफलता में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत को अपनी इन बेटियों पर गर्व है।
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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