

देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर ISRO ने स्टूडेंट सैटेलाइट ‘AjaadiSAT’ को लॉन्च किया है। जिसे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के 750 छात्राओं ने 6 महीने में बनाया है। ये छात्राएं 7 अगस्त को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर पहुंची और सैटेलाइट लॉन्चिंग का हिस्सा बनकर इतिहास रचा।
दुनिया के सबसे सस्ते सैटेलाइट लॉन्चिंग रॉकेट SSLV से दो सैटेलाइट एकसाथ लॉन्च किए गए, जिसमें से एक स्टूडेंट सैटेलाइट AzaadiSAT भी था। रॉकेट जैसे ही पृथ्वी की सतह को पार कर स्पेस में पहुंचा इन बच्चियों के साथ इस सैटेलाइट पर काम करने वाले वैज्ञानिक भी खुशी से झूम उठे। लेकिन सैटेलाइट लॉन्चर के सेंसर खराब होने की वजह से सैटेलाइट अपने तय ऑर्बिट में नहीं पहुंच सकी। भले ही दुनिया की नजर में ये प्रोजेक्ट असफल रहा। मगर बच्चियों के लिए यह मौका सुनहरा था।
मेहनत से तैयार हुआ सैटेलाइट
बच्चों के साथ अटल टिंकरिंग लैब में सैटेलाइट को बनाने के लिए मेंटर्स भी दिन-रात एक कर काम करते रहे। आगरा के एक स्कूल में पढ़ने वाली स्टूडेंट ने बताया कि फरवरी में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था। ISRO के साथ ही नीति आयोग और स्पेस किड्स इंडिया की गाइडेंस में हमने इस सैटेलाइट के सेंसर यूनिट, इलेक्ट्रोनिक्स और प्रोग्रामिंग पर काम करना सीखा। Ajaadisat को स्पेस का तापमान, नमी और प्रेशर आदि पता लगाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।
स्पेस फॉर वुमन के मिशन पर काम करेंगी स्टूडेंट्स
Space4Women संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ आउटर स्पेस (UNOOSA) प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को स्पेस में बराबर मौके देने के लिए काम हो रहा है। इसी मुहिम पर भारत ने भी खास लड़कियों को स्टूडेंट सैटेलाइट प्रोजेक्ट से जुड़ने का मौका दिया था। इसका फायदा हुआ है कि अब ज्यादा से ज्यादा लड़कियां स्पेस की पढ़ाई करना चाहती हैं और इसमें रूचि ले रही हैं।