भारत की चैंपियन दादी भगवानी देवी डागर ने फिनलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022 में एक गोल्ड और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। 94 साल की दादी ने 7 महीने पहले ही एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रखा है। स्टेट, नेशनल और फिर इंटरनेशनल चैंपियनशिप तक का सफर तय करने वाली दादी को देखकर ही इंस्पायर हुआ जा सकता है। उनके नाम 100 मीटर रेस को 24.74 सेकेंड में पूरा करने का नेशनल रिकॉर्ड भी दर्ज है। वह आगे भी इसी तरह खेलने का जज्बा और जुनून रखती हैं। अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस पर दादी की कहानी…
पैरालिंपिक मेडल विनर पोता विकास है दादी का ट्रेनर
दादी कहती हैं कि- “मैंने खेतों में काम किया है, और आज भी दो किलोमीटर तक सैर करती हूं। शरीर को हमेशा एक्टिव रखती थी लेकिन मुझे खिलाड़ी बनाने का हौसला मेरे पोते विकास से मिला। मैं जिस ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जाती हूं, वहां मेरा बड़ा पोता भी प्रैक्टिस करता है। वही मुझे ये सब सिखाता है। मेरे पोते विकास ने पैरालिंपिक में देश के लिए मेडल लाया है। “
6 महीने में तय किया स्टेट से इंटरनेशनल लेवल
दादी के नाम रिकॉर्ड- वे कहती है कि- “मैंने जनवरी 2022 में खेलों की ट्रेनिंग की शुरूआत की। सबसे पहले दौड़ लगाई, फिर गोला और चक्का फेंका। कुछ महीने बाद दिल्ली (स्टेट मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022) में भाग लिया और तीन गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके बाद चेन्नई में (42वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप) में भी तीन गोल्ड जीत लिए।“
“फिर मैं फ़िनलैंड पहुंची। वहां (वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स 2022) सीनियर सिटीजन कैटेगरी में मैंने 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीत लिया। शॉटपुर और डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। आज मेरे पास 9 मेडल हैं। मैं रोजाना प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड जाती हूं, फिर भले मेरे साथ कोई जाए या न जाए मैं अकेले ही निकल जाती हूं। मेरी सहेलियां भी मेरे साथ जरूर जाती हैं। वह प्रैक्टिस भी करती हैं, बहुत मजे करते हैं। बुजुर्ग जरूर हूं मगर एक जगह बैठे रहना मुझे अच्छा नहीं लगता। अपने छोटे-मोटे काम मैं खुद ही करना पसंद करती हूं। इसी बहाने शरीर भी चलता है।“ चैंपियन दादी की कहानी वाकई काबिले तारिफ है वे कई लोगों के लिए प्रेरणा की मिसाल हैं।