Ram Mandir: 14 वर्षों के वनवास के बाद भगवान राम जब माता सीता और लक्ष्मण के साथ आयोध्या लौटे थे तो हर किसी ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया था, दिए की उन रौशनी में ओज था, ऐश्वर्य था, खुशी थी और रामराज्य के शुभारंभ का संकेत था। ये बात द्वापरयुग की थी। महापुराणों की बात मानें तो ये युग कलियुग का है और किसी ने भी ये नहीं सोचा होगा कि कलियुग में भी राम के आगमन की खुशी को एक बार और देखा जा सकेगा। लेकिन ऐसा हो रहा है। जब एक बार फिर राम के लिए हर व्यक्ति दीप जलाएगा, खुशी मनाएगा और रामराज्य की कामना करेगा। रामोत्सव के लिए मंदिर में भगवान राम की मूर्ति पहुंच चुकी है। ये मूर्ति बेजोड़ नक्काशी और भारतीय कला का अनुपम उदाहरण है। इसे बनाने में जितनी मेहनत लगी उतनी ही श्रद्धा और तन्यता से इसके लिए पत्थर खोजे गए, कारीगर और मूर्तिकार खोजे गए। जानते हैं कैसी रही भगवान राम की मूर्ति को आकार देने का सफर…
पहला चरण था मूर्ति के लिए पत्थर खोजना
भगवान राम की अचल मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी सहित कर्नाटक, राजस्थान और उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर मंगवाए गए थे। इन सभी पत्थरों को परखने के बाद राजस्थान और कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के अनुसार थी।
क्यों खास हैं कर्नाटक व राजस्थान के पत्थर
कर्नाटक की श्याम शिला और राजस्थान के मकराना के संगमरमर पत्थर कई विशेषताओं वाले हैं। इनकी विशेष खासियतों की वजह से ही इन्हें भगवान राम की मूर्ति के लिए चुना गया। मकराना की शिला बहुत कठोर और नक्काशी के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। इसकी चमक सदियों तक बरकरार रहती है। इसके साथ ही कर्नाटक की श्याम शिला पर नक्काशी आसानी से की जा सकती है। ये शिलाएं पानी से खराब नहीं होती हैं और सौ सालों से भी ज्यादा समय तक चमकदार रहती है।
मूर्ति निर्माण के मानक
- मूर्ति की कुल ऊंचाई 52 इंच रखी जानी चाहिए।
- भगवान श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हो।
- मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य होनी चाहिए।
- कमल दल पर खड़ी मुद्रा में होनी चाहिए भगवान राम की मूर्ति।
- हाथ में तीर और धनुष हो।
- भगवान राम की मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलके
मूर्ति बनाने से पहले ये मानक भगवान राम की मूर्ति के लिए तय किए गए जिसे मूर्तिकार ने बड़ी ही कुशलता से पूरा किया।
भगवान राम की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों का चयन
मंदिर के गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 3 मूर्तिकारों की 3 अलग-अलग मूर्तियां बवनाई गई इनमें से 1 मूर्ति का चयन किया गया। इसका कार्य राम मंदिर ट्रस्ट कमेटी द्वारा किया गया। मूर्तियां बनाने वाले ये 3 मूर्तिकार राजस्थान के सत्यनारायण पांडे, मैसूर के अरुण योगीराज शिल्पी और बेंगलूरु के जीएल भट्ट थे। इन सभी की बनाई मूर्ति में सत्यनारायण पांडे ने भगवान राम की श्वेत मूर्तिकार अरुण योगीराज और जी एल भट्ट ने श्याम रंग की मूर्तियां बनाई थी। इन सभी मूर्तियों में से मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन किया गया।
मूर्तिकार अरुण योगीराज शिल्पी के बारे में..
कर्नाटक के मैसूर से मूर्तिकार अरुण योगीराज का संबंध है। इनका पूरा परिवार इसी काम को करता है। उन्होंने अपने परिवार की परंपरा को कायम रखा। अपनी धरोहर को आगे बढ़ाते हुए उन्होंन मूर्ति बनाने की कला को पूरे देश में प्रसिद्ध किया। अरुण अपने परिवार के पांचवी पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उनके पिता ने इससे पहले गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए मूर्तियां बनाई थी। अब ऐसा ही खास मौका अरुण योगीराज को मिला है।
अरुण ने 2008 में नौकरी छोड़कर मूर्ति बनाने का काम शुरू किया। वो अब तक 1 हजार से ज्यादा मूर्ति बना चुके हैं। इन्होने ही केदारनाथ में आदिशंकराचार्य की मूर्ति बनाई थी। इनके काम की तारीफ प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं। अरुण योगीराज रोजाना 12 घंटे इस काम को करते थे।
Positive सार
अयोध्या में भगवान राम 22 जनवरी को विराजेंगे, जिसका इंतजार पूरा देश कर रहा है। राम हर जगह हैं, राम आयोध्या में हैं तो हमारे मन में हैं। राम कण-कण में हैं। तो 22 जनवरी को कहीं भी रहें रामराज्य का उत्सव दीप जलाकर जरूर मनाएं।