Ram Mandir: उस दिन का इंतजार आखिर खत्म हो ही गया जिसका पूरे भारतवासियों को बेसब्री से था। भगवान राम अयोध्या के मंदिर में विराज गए हैं और पूरा भारत उनकी खुशी में फिर से दिवाली मना रहा है। इस खुशी में सिर्फ भारत के लोग ही शामिल नहीं हुए हैं बल्कि पूरी दुनिया में जहां भी राम पूजे जाते हैं वहां दिवाली मनाई जा रही है। इन सभी बातों के बीच एक और जगह है जिसे लोग दूसरी अयोध्या कह रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि दूसरी अयोध्या कहां पर है और किस देश में है।
अयोध्या से 3500 किमी दूर है अयुथ्या
ये अयोध्या थाइलैंड में मौजूद है। दरअसल थाइलैंड में राजाओं को राम कहते थे। भगवान राम के इतिहास से पूरी तरह रमा ये अयुथ्या शहर में साक्ष्यों को आज भी सहेजकर रखा गया है। इस शहर शहर की खास बात ये है कि यहां पर आसपास में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के मंदिर भी हैं।
क्या है अयुथ्या का इतिहास?
थाइलैंड का चक्री राजवंश खुद को राम से जुड़ा हुआ कहते हैं। ये राजवंश चक्री राजवंश था। चक्री वंश के वर्तमान राजा को राम ‘दशम’ कहते हैं। थाइलैंड का अयुथ्या शहर किसी जमाने में एक विशाल साम्राज्य के तौर पर स्थापित थी। थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक से 70 किमी दूरी पर स्थित अयुथ्या शहर में विशाल खंडहर आज भी दिखाई देते हैं। जहां भारत का अयोध्या शहर सरयू नदी के किनारे बसा है वहीं थाइलैंड का अयोध्या शहर भी तीन नदियों से घिरा है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यहां पर भी भारतीय परंपरा के कुछ अंश या रिश्ता जरूर होगा।
क्या है थाइलैंड में रामायण की कहानी?
बैंकॉक की चुलालॉन्गकॉर्न यूनिवर्सिटी में इंडियन स्टडीज में रिसर्च कर रहे है रिसर्चर्स और जानकारों का कहना है कि संस्कृत शब्दों को थाई भाषा में ढालकर नए नाम रखने का चलन कई साल पुराना है और ये काफी प्रचलित था। इसलिए अयोध्या और अयुथ्या के नाम एक जैसे सुनाई देता है। थाइलैंड के लोग रामाकिएन कहते हैं जो रामायण का ही लगभग रूप है। कहते हैं कि यहां के शासकों ने अपने शहर का नाम शुभ मानते हुए अयोध्या के नाम पर अयुथ्या रखा था। थाइलैंड में राजा को विष्णु का अवतार मानते हैं, इसलिए राजाओं ने थाइलैंड के राम-1, 2 के नाम से अपना नाम रखना शुरू किया।
थाईलैंड में रामायण का गुणगान
थाईलैंड में प्रभु श्रीराम के जीवन और रामायण पर आधारित चित्रकला की कार्यशला आयोजित होती है। जहां पर आकर लोग उनके बारे में जानकारी पाते हैं। थाइलैंड के रॉयल पैलेस और भीतरी दीवारों पर संपूर्ण रामकियन यानी कि रामायण को भी चित्रित किया गया है। यहां संपूर्ण महल में विश्व की सबसे लंबी रामायण पेंटिंग भी लगाई गई है। इसके अलावा कंबोडिया में लिंटेल रामायण के एक प्रकरण का लीडरशिप भी करते हैं। इसके अलावा यहां पर बालि और सुग्रीव की की मूर्तियों को भी देखा जा सकता है।
Positive सार
थाईलैंड में भारतीय विरासत को देखकर गर्व महसूस करना लाजिमी है। यहां 14वीं शताब्दी में जब थाईलैंड पर आक्रमण हुआ तो बहुत लोग भागकर बैंकॉक और लाओस गए। लाओस आए लोगों ने बौद्ध संस्कृति के साथ ही राम मंदिर भी बनाए थे। यहां आज भी प्रतिदिन रामयण का मंचन होता है जो भगवान राम की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।