Ram Mandir: भारत में IIT और NIT जैसे संस्थानों की पहचान बेहतरीन शिक्षा और शानदार करियर मेकर के रूप में है। तो अगर ऐसे में हम आपसे कहें कि ये संस्थान अयोध्या के राम मंदिर कंस्ट्रक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं तो शायद आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन ये सच है। जानते हैं अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में इन संस्थानों की क्या भूमिका है।
पहले राम मंदिर के बारे में
22 जनवरी, 2024 का इंतजार हर व्यक्ति कर रहा है क्योंकि इस दिन पूरे भारत में फिर से दिवाली मनाई जाएगी। क्योंकि इस दिन अयोध्या के राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस दौरान भगवान राम के मंदिर गर्भगृह में मूर्ति को विराजित किया जाएगा। इस बीच कई लोग इस बारे में भी बात कर रहे हैं कि योध्या के राम मंदिर में देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं, जिसमें IIT, NIT और दूसरे शिक्षण संस्थान के विद्वान काम कर रहे ह ।
राम मंदिर के आकार में बड़ी भूमिका
भारत के प्रमुख तकनीकी और दूसरे शिक्षण संस्थानों ने राम मंदिर के निर्माण के दौरान मंदिर परिसर को आकार देने में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है। ऐसे में अलग-अलग संस्थानों से कई प्रमुख प्रोफेसर और शोधार्थियों ने मंदिर परिसर का डिजाइन भी बनाया है।
इस बात को जानने के बाद ये भी बात आती है कि आखिर राम मंदिर कितनी जगह में बन रहा है। दरअसल राम मंदिर का निर्माण कुल 70 एकड़ क्षेत्र में किया जा रहा है। जिसमें से 70 फीसदी ग्रीनरी फील्ड है। हालांकि, इसमें से 2.77 एकड़ क्षेत्र में मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।
मंदिर की लंबाई और चौड़ाई
मंदिर निर्माण के दौरान इसके लंबाई व चौड़ाई का भी खास ख्याल रखा गया है। मंदिर की कुल लंबाई 380 फीट, 250 फीट चौड़ाई और 161 फीट ऊंचाई है। राम मंदिर की लंबाई-चौड़ाई व ऊंचाई का अनुपात इस तरह तय किया गया है कि यह समान दूरी से भी आसानी से देखा जा सके।
मंदिर निर्माण में शामिल हैं ये संस्थान
-IIT Guwahati
-IIT Bombay
-IIT Chennai
-NIT Surat
-Central Building Research Institute, Roorkee
-National Geo Research Institute, Hyderabad
-National Institute of Rock Mechanics
Positive सार
मंदिर डिजाइन से लेकर कारीगरी और वास्तुकला सभी में जितना ध्यान परंपरा और संस्कृति का रखा गया है उतना ही ख्याल विज्ञान और भविष्य का भी रखा गया है। यही वजह है कि इन महत्वपूर्ण संस्थानों की मदद मंदिर निर्माण में ली गई है। इन तकनीकी संस्थानों की मदद से मंदिर को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह आने वाले 1000 सालों तक मजबूत रहेगा, जिससे सदियों तक भारत की परंपरा लोगों के दिलों रहेगी।
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