Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। हर व्यक्ति भगवान राम के दर्शन करने अयोध्या पहुंच रहा है। उनकी मनमोहक प्रतिमा हर किसी के मन में बस रही है। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने भगवान राम के मूर्ति को आकार दिया है। पर क्या आप जानते हैं कि कुछ दिनों पहले ही कर्नाटक के कृष्णा नदी में 1000 साल पुरानी भगवान विष्णु की मूर्ति मिली है, जिसे देखकर कहा जा रहा है कि ये मूर्ति अयोध्या के भगवान राम की मूर्ति से हूबहू मिलती है, कुछ लोग इसे चमत्कार भी कह रहे हैं। जानते हैं क्या है इस 1000 साल प्राचीन मूर्ति का इतिहास और अयोध्या के भगवान राम से इसका क्या है संबंध…
कृष्णा नदी में मिली भगवान विष्णु की मूर्ति
कर्नाटक के रायचूर जिले के एक गांव में कृष्णा नदी से भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली है। आर्कियोलॉजिस्ट का मानना है कि भगवान विष्णु की ये प्रतिमा करीब 1 हजार साल पुरानी है। खास बात ये है कि भगवान विष्णु की ये प्रतिमा Ram Mandir Ayodhya के भगवान राम की प्रतिमा से एकदम मेल खाती है। जानकार कृष्णा नदी में मिले इस प्रतिमा के बारे में कहते हैं कि ये प्रतिमा 11वीं या 12वीं शताब्दी के बीच की हो सकती है।
प्रतिमा के साथ मिला शिवलिंग भी
भगवान विष्णु के इस 1000 साल पुरानी मूर्ति के साथ एक प्राचीन शिवलिंग भी मिला है। भगवान विष्णु के इस विग्रह का रूप-रंग और स्वरूप अयोध्या में भगवान राम जैसा ही दिखाई देता है।
कैसी है भगवान विष्णु की प्रतिमा
भगवान विष्णु की इस प्रतिमा के प्रभामंडल के चारों ओर ‘दशावतारों’ को काफी बारीकी से बनाया गया है। भगवान विष्णु की प्रतिमा पर मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा, वामन, राम, परशुराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्की अलंकृत किए गए हैं। विष्णु जी की प्रतिमा के चार हाथ बनें हैं, जिसमें दो ऊपर उठे हाथ शंख और चक्र से सुसज्जित किए गए हैं। नीचे की ओर सीधे किए दो हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में दिखाई देते हैं। इनमें एक ‘कटि हस्त’ और दूसरा ‘वरद हस्त’ की तरह दिखाई दे रहा है। इतिहास के जानकारों की मानें तो भगवान विष्णु की यह प्रतिमा एक मंदिर के गर्भगृह का हिस्सा हो सकती है और इसे मंदिर में हुई तोड़फोड़ से बचाने के लिए नदी में डाल दिया गया होगा। इस प्रतिमा में थोड़ी क्षति दिखाई दे रही है। इसमें विग्रह की नाक थोड़ी क्षतिग्रस्त हो गई है।
अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति
Ram Mandir Ayodhya मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की भव्यता को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है। उनकी प्रतिमा ऐसी लगती है मानों वो आपके मन को पढ़ रही हो। भगवान राम की प्रतिमा के लिए ‘कृष्ण शिला’ का इस्तेमाल किया गया है। ‘कृष्ण शिला’ पत्थर का यह रंग भगवान राम के श्याम रंग के सबसे करीब माना जाता है। इस ब्लैक ग्रेनाइट को प्रतिमा बनाने से पहले लैब में टेस्ट किया गया। बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (NIRM) ने इस ब्लैक ग्रेनाइट का लैब टेस्ट करके प्रतिमा बनाने की अनुमति दी है।
Positive सार
भारतीय संस्कृति और कला का एक अनुपम रूप मौजूद है। प्राचीन मूर्तियां, मंदिर और वास्तुकला ये बताते हैं हमारा इतिहास कितना समृद्ध रहा है। फिर चाहे वो आज के मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई भगवान राम की मूर्ति हो या फिर 1000 साल पुरानी भगवान विष्णु की मूर्ति सभी में भरतीय भक्ति और गरिमा की छाप और भव्यता दिखाई देती है।
2 Comments
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