Zakir Hussain: भारत के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने 16 दिसंबर 2024 को 73 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। सैन फ्रांसिस्को में उनके परिवार ने इसकी जानकारी दी।भारतीय शास्त्रीय संगीत को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले जाकिर हुसैन वो शख्स हैं जिससे शायद ही कोई भारतीय अंजान हो। तबले पर थिरकती उनकी उंगलियों से निकलने वाली थाप और ताल ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। याद करते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें जो उनके हर प्रसंशक के दिल में अब स्मृति शेष होंगे।
पिता से मिली विरासत
जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) को तबला बजाने का हुनर विरासत में मिला। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा भी मशहूर तबला वादक थे। अल्ला रखा जम्मू-कश्मीर के रहने वाले थे। उन्होंने तबला वादन को भारत में एक अलग पहचान और लोकप्रियता दिलाई थी। पिता से ही तबला वादन का हुनर जाकिर हुसैन को मिला, जिसे उन्होंने तराशकर दुनिया के सामने पेश किया।
क्यों कहलाते हैं उस्ताद?
जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) को उस्ताद की उपाधि पंडित रविशंकर ने दी थी। इसके पीछे भी एक दिलचस्प वाकया है जो उन्होंने अपने एक टीवी इंटरव्यू में बताया था। उन्हें पद्मश्री मिलने की घोषणा 1988 में हुई थी। घोषणा के अगले दिन जब अखबार में खबर छपी उस वक्त जाकिर हुसैन जेवियर्स कॉलेज में तबला बजा रहे थे। उनके साथ पंडित रविशंकर थे और उनके पिता सामने बैठे हुए थे। किसी ने उनके पिता को यह खबर दी और उन्होंने पंडित रविशंकर तक ये बात पहुंचाई। उस वक्त जब पंडित रविशंकर ने सबके सामने अनाउंसमेंट की तब उन्होंने पहली बार कहा –“उस्ताद जाकिर हुसैन को पद्मश्री दिया जा रहा है”। तभी से जाकिर हुसैन, उस्ताद जाकिर हुसैन बन गए।
12 फिल्मों में किया काम
तबला वादक जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) ना सिर्फ मशहूर तबला वादक थे बल्कि उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में भी नाम कमाया। अपने करियर में उन्होंने कुल 12 फिल्मों में छोटे बड़े काम किए हैं। उन्होंने शशि कपूर की फिल्म “हीट एंड डस्ट” में पहली बार एक्टिंग की थी। इसके बाद उन्होंने फिल्म साज, चालीस चौरासी, मंटो और मिस बिटीज चिल्ड्रेन समेत 12 फिल्मों में काम किया। आगे भी उन्हें कई फिल्मों का ऑफर आया पर उनके पिता चाहते थे कि उनका पूरा ध्यान तबला वादन पर ही रहे।
कई सम्मान उस्ताद के नाम
संगीत के क्षेत्र में जाकिर हुसैन को 3 पद्म पुरस्कार और 5 ग्रैमी अवॉर्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें दिए गए सम्मानों की फेहरिस्त लंबी है, जिनमें से कुछ खास ये हैं
- पद्मश्री- 1988
- पद्म भूषण- 2002-
- पद्म विभूषण- 2023
- नेशनल हेरिटेज फेलोशिप- 1999
- संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड- 1990
- दो ग्रैमी अवॉर्ड- 2024
- ग्रैमी अवॉर्ड – 2009
- GIMA अवॉर्ड- 2014
- कालीदास सम्मान
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दिलो में याद रहेंगे उस्ताद जाकिर हुसैन
जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) वो शख्सियत थे जिन्होंने न सिर्फ भारत का नाम दुनिया में रौशन किया बल्कि शास्त्रिय संगीत को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) के तबले की थाप बांधकर रखती थी जिसे सुनकर कोई भी कहता वाह उस्ताद वाह। भले ही आज जाकिर हुसैन नहीं रहे पर उनकी कला उन्हें लोगों के दिल में सदैव जीवित रखेगी।