World Tribal Day: 9 अगस्त को हर साल पूरी दुनिया में आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन आदिवासी समुदाए के लिए बेहद खास और उत्सव जैसा होता है। दुनियाभर में बहुत से ऐसे देश हैं जहां आदिवासियों का बड़ा समूह रहता है। ये अपनी अनोखी संस्कृति, समृद्ध सभ्यता और अपने प्रकृति प्रेम के लिए पहचाने जाते हैं। आदिवासी दिवस इनकी सभ्यता और संस्कृति का उत्सव मनाने और इनके अधिकारी को रक्षा के लिए मनाया जाता है।
कैसे हुई इसकी शुरुआत?
विश्व आदिवासी दिवस दुनियाभर के 90 देशों में रहने वाले अलग-अलग समुदाय के आदिवासियों को समर्पित है। 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासियों के अधिकारों को लेकर 9 अगस्त के दिन एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यदल बनाया गया था, तभी से इस दिन को आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जार हा है। लेकिन विश्व आदिवासी दिवस की आधिकारिक घोषणा 1982 को की गई थी।
क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस?
आदिवासियों को धरती का मूल निवासी कहा जाता है। इनके समुदाय में जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी संस्कारों में प्रकृति मूल रूप से सम्मिलित रहती है। विश्व में ऐसे बहुत से आदिवासी समुदाय हैं जो मुख्य धारा से कटकर रहते हैं। इनकी संस्कृति और जीवनशैली अपने आप में अनोखी है। विश्व आदिवासी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य ऐसे ही समुदायों को संरक्षित करना और उनके अधिकारों के लिए पूरी दुनिया को जागरूक करना है। ताकी उनकी ये अनोखी संस्कृति पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।
भारत में रहते हैं 104 करोड़ आदिवासी
हमारा देश भारत आदिवासी संस्कृति से समृद्ध है। यहां करीब 10 करोड़ 40 लाख आदिवासी निवास करते हैं। देश के कुछ आदिवासी बाहुल्य राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान, उड़ीसा शामिल हैं। देश की कुल आबादी में 8% आदिवासी हैं। आदिवासी समुदायों के लेकर बढ़ी जागरूकता की वजह से आज आदिवासी समुदाय से लोग आगे आ रहे हैं और देश की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।