IAS बनना हर किसी का सपना होता है, लेकिन कुछ ही लोग होते हैं जो इसे अपनी मेहनत से सच कर पाते हैं। अंजलि गर्ग उन चंद लोगों में से हैं जिन्होंने साबित कर दिया कि अगर इरादा पक्का हो, तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, मंजिल पाई जा सकती है। 12 घंटे की हॉस्पिटल ड्यूटी, थकान, अनियमित नींद और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के बावजूद अंजलि ने UPSC की तैयारी की और दूसरी कोशिश में IAS बनकर सबका दिल जीत लिया।
MBBS से UPSC
अंजलि ने नीट पास कर MBBS में एडमिशन लिया था। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने ग्राउंड लेवल पर मेडिकल सिस्टम की खामियों को महसूस किया और यही उनके सोचने के तरीके को बदल गया। उन्होंने महसूस किया कि असल बदलाव लाने के लिए उन्हें प्रशासनिक सेवा में आना होगा। यहीं से शुरू हुई उनकी सिविल सर्विसेस की जर्नी।
ड्यूटी के बाद कोचिंग
अंजलि दिनभर की हॉस्पिटल ड्यूटी के बाद सीधे कोचिंग क्लास अटेंड करती थीं। नाइट शिफ्ट के कारण नींद पूरी नहीं हो पाती थी, लेकिन उन्होंने पढ़ाई के लिए एक भी मिनट बर्बाद नहीं किया। वे कहती हैं कि दिन में जहां भी समय मिलता, किताबें खोल लेती थीं। उनके पास ज्यादा वक्त नहीं था, इसलिए उन्होंने smart study पर फोकस किया।
फेलियर से हौसला नहीं टूटा
पहली बार में अंजलि को सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी कमियों को पहचाना और उसे सुधारते हुए दोबारा तैयारी शुरू की। दूसरी बार में उन्होंने 79वीं रैंक हासिल की और एक IAS अफसर बन गईं। उनकी कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि जिद, संघर्ष और लगातार कोशिश की मिसाल है।
स्वास्थ्य से लेकर समय की कमी
UPSC की तैयारी के दौरान अंजलि को जोड़ों के दर्द और थकावट जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स भी झेलनी पड़ीं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कभी-कभी शरीर साथ नहीं देता था, लेकिन उनका माइंडसेट और डेडिकेशन पूरी तरह स्ट्रॉन्ग रहा।
अंजलि की कहानी हम सभी को सिखाती है कि चाहे रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न हो, अगर मन में जुनून और दिल में सपना हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।