Sua Dance: ‘सुवा नृत्य’ जिसके जरिए महिलाएं कहती हैं मन की बात

Sua Dance: भारत में हर राज्य का अपना एक फोक डांस फॉर्म है। कुछ राज्य जो शुरुआत से ही सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे उनके फोक डांस पूरी दुनिया में मशहूर हैं। वहीं कुछ राज्यों के बहुत से फोक डांस ऐसे भी हैं जो कई मायनों में अनोखे हैं। लेकिन इन फोक डांस को बहुत कम लोग ही जानते हैं। ऐसा ही एक लोक नृत्य हमारे छत्तीसगढ़ में भी किया जाता है। वो है “सुवा नृत्य” (Sua Dance)। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़ी इस समृद्ध परंपरा के बारे में।

क्या होता है सुवा नृत्य?

सुवा नृत्य (Sua Dance) या सुवा नाच छत्तीसगढ़ के प्रमुख फोक डांस में से एक है। इसे सिर्फ महिलाओं द्वारा ही किया जात है। सुवा डांस दिवाली के समय होता है। इसे महिलाओं या लड़कियों के द्वारा ग्रुप में किया जाता है। पूरा ग्रुप एक साथ गोलाकार आकृति में घूम-घूम कर डांस करता है। सुवा नृत्य का खास सुवा गीत होता है। जिसे एक सुर ताल में सभी महिलाएं गाती हैं। नाचते हुए सभी ताली बजाकर ताल मिलाती हैं। कुछ लोग हाथों में लकड़ियों के टुकड़े रखे होते हैं उसे बजाकर भी ताल मिलाया जाता है।

सुवा नृत्य में सुवा क्या है?

इस लोक नृत्य में सुवा का मतलब होता है तोता या मिट्ठु। छत्तीसगढ़ी में तोता को सुवा कहते हैं। सुवा डांस (Sua Dance ) करने वाली महिलाएं एक टोरी में धान और उसमें मिट्टी का सुवा रखे हुए होती हैं। इसी टोकरी को बीच में रखकर चारों तरफ घूम-घूमकर सुवा नृत्य किया जाता है। सुवा नृत्य करने के बाद महिलाओं को अनाज या रुपए दिए जाते हैं।

सुवा गीत में होता है कुछ खास

पहले के जमाने में जैसे कबूतर को संदेश वाहक बनाया जाता था। सुवा गीत से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में सुवा यानी तोता संदेश वाहक होता था। सुवा गीत के जरिए महिलाएं अपने मन की व्यथा का बखान करती हैं। सुवा गीत में सास-ससुर, ननद की बातें, मायके जाने की इच्छा, पक्षियों की चहचहाहट जैसी बातों का जिक्र होता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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